राष्ट्रपति मुर्मू ने वुमन इंक्लूसिव ज्यूडिशियरी पर जोर दिया, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के नए भवन के शिलान्यास कार्यक्रम में 'एडीएम जबलपुर' मामला याद किया

Update: 2023-09-28 04:00 GMT

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के एनेक्सी भवन के शिलान्यास समारोह में बुधवार को बोलते हुए भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि न्यायिक प्रणाली में महिलाओं की अधिक भागीदारी न्यायपालिका के हित में होगी।

यह देखते हुए कि सुप्रीम कोर्ट में लगभग नौ प्रतिशत महिला न्यायाधीश और हाईकोर्ट में लगभग चौदह प्रतिशत महिला न्यायाधीश हैं, राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि न्यायिक प्रणाली में महिलाओं की उचित भागीदारी होनी चाहिए, क्योंकि उनमें न्याय की स्वाभाविक भावना होती है।

उन्होंने कहा,

“इसीलिए कहा जाता है कि मां अपने बच्चों में भेदभाव नहीं करती। न्याय देने की प्रक्रिया किसी गणितीय सूत्र पर आधारित नहीं है। न्याय प्रशासन में किताबी ज्ञान के साथ-साथ व्यावहारिक बुद्धि का भी प्रयोग आवश्यक है। भावनाएं, परिस्थितियां और संवेदनशीलता जैसे अन्य आयाम भी इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए न्यायिक प्रणाली में महिलाओं की भागीदारी न्यायपालिका के हित में होगी।”

इसके अलावा, लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण प्रदान करने वाले संसद में हाल ही में पारित संविधान (एक सौ अट्ठाईसवां संशोधन) विधेयक, 2023 का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि समावेशी भारत में महिलाओं का सशक्तिकरण आवश्यक है।

इस कार्यक्रम में कई गणमान्य व्यक्तियों और कानूनी विशेषज्ञों ने भाग लिया, जिसमें हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि मलिमथ, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राज्यपाल मंगूभाई सी. पटेल भी मौजूद थे।

महत्वपूर्ण बात यह है कि अपने संबोधन में उन्होंने शिवकांत शुक्ला बनाम एडीएम जबलपुर के मामले में हाईकोर्ट के फैसले को भी याद किया, जिसमें हाईकोर्ट ने जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा के पक्ष में फैसला सुनाया था।

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि जब न्यायपालिका द्वारा आत्म-सुधार का परिप्रेक्ष्य सामने आता है तो जबलपुर का नाम स्वचालित रूप से दिमाग में आता है, क्योंकि उन्होंने कहा कि एडीएम जबलपुर बनाम शिवकांत शुक्ला के फैसले के 42 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2017 में फैसला सुनाया था। उसने अपने इस निर्णय को बदला और जबलपुर हाईकोर्ट द्वारा मौलिक अधिकारों के पक्ष में दिये गये तत्कालीन निर्णय के मूल सिद्धांतों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा पुनः स्थापित किया गया।

उन्होंने कहा,

“इस प्रकार, भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में जबलपुर का नाम न्याय प्रणाली की प्रगतिशील यात्रा का प्रतीक बन गया है।”

इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने न्यायपालिका से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति से आम जनता को सरल, सुलभ और त्वरित न्याय प्रदान करने के प्रयास करने का आग्रह किया। उन्होंने न्यायपालिका के सामने आने वाली चुनौतियों जैसे बड़ी संख्या में लंबित मामले, विचाराधीन कैदियों की बड़ी संख्या, अदालतों में बुनियादी ढांचे में सुधार की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा कि देश भर की निचली अदालतों में लगभग 4.5 करोड़ मामले लंबित हैं और इनमें से कई मामले 20 से 30 वर्षों से लंबित हैं।

हालांकि, उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने जिला अदालतों में दशकों से लंबित मामलों के निपटारे के लिए '25 DEBT' नाम से विशेष अभियान शुरू किया, जिसके तहत जिला न्यायपालिका के न्यायाधीशों को उनकी अदालतों में नियमित आधार पर 25 सबसे पुराने मामलों का निपटारा करने के लिए कहा गया।

राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि यह 'पंच-परमेश्वर' का देश है और न्याय की अवधारणा हमारी ग्रामीण व्यवस्था में शुरू से मौजूद थी। उन्होंने विवादों के वैकल्पिक समाधान की व्यवस्था को और मजबूत करने पर जोर दिया।

उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि मध्यस्थता अधिनियम, 2023 के प्रावधानों का उपयोग करने से मध्यस्थता को व्यापक एवं संस्थागत स्वीकृति मिलेगी तथा मुकदमेबाजी का बोझ कम होगा।

यह देखते हुए कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का नया भवन अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित होगा, राष्ट्रपति ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि महिला वकीलों के लिए अलग बार रूम प्रस्तावित है। उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था केवल महिला वकीलों के लिए ही नहीं बल्कि महिला वादियों के लिए भी सुविधाजनक होगी।

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