‘द केरला स्टोरी’ की रिलीज पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर केरल हाईकोर्ट ने केंद्र, फिल्म निर्माताओं से जवाब मांगा

Update: 2023-05-02 10:24 GMT

केरल हाईकोर्ट ने फिल्म 'द केरला स्टोरी' की रिलीज पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर केंद्र और निर्माताओं से जवाब मांगा है।

जस्टिस एन. नागेश और जस्टिस मोहम्मद नियास सीपी की खंडपीठ ने मामले को 5 अप्रैल को आगे के विचार के लिए पोस्ट किया है।

ये याचिका राजीव गांधी स्टडी सर्किल नाम के एक एनजीओ के राज्य पदाधिकारी द्वारा दायर की गई थी, जो 'सामाजिक रूप से प्रासंगिक मुद्दों पर जनता की चेतना को जगाने में योगदान' करने का दावा करता है।

‘द केरला स्टोरी फिल्म’ को सुदीप्तो सेन ने डिरेक्ट किया है और विपुल अमृतलाल शाह ने इसे प्रोड्यूस किया है। ट्रेलर आने के बाद से ही ये फिल्म विवादों में रहा है। ट्रेलर में दिखाया गया है कि केरल की लगभग 32,000 महिलाओं को धोखे से इस्लाम में धर्म परिवर्तन कराया गया और बाद में ISIS में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया।

याचिकाकर्ता का तर्क है कि फिल्म "द केरला स्टोरी" तथ्यात्मक घटनाओं पर आधारित होने का दावा करती है, फिल्म के टीज़र और ट्रेलर में दिए गए बयान वास्तविकता से काफी अलग हैं, टीज़र में गलत डेटा शामिल है जो दावा करता है कि केरल की 32,000 महिलाओं को परिवर्तित, कट्टरपंथी और आतंकवादी मिशनों पर भेजा गया था।

याचिकाकर्ता ने 'द केरला स्टोरी' की रिलीज पर रोक लगाने की मांग की है, जो 5 अप्रैल 2023 को रिलीज होने वाली है।

याचिकाकर्ता ने मुस्लिम समुदाय और केरल राज्य के लिए अपमानजनक सभी गलत और असत्यापित बयानों और दृश्यों को हटाने के लिए भी प्रार्थना की है।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील कलेश्वरम राज ने कहा कि "वे कहते हैं कि यह सच्ची कहानियों से प्रेरित है, जो एक संकेत देगा कि केरल में बड़े पैमाने पर धर्मांतरण हो रहा है। यह कुछ ऐसा है जो राज्य और लोगों की गरिमा को कम करता है। यह अपमान है। राज ने तर्क दिया कि टीज़र फिल्म से अविभाज्य है और इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि किसी ने फिल्म नहीं देखी है।

कोर्ट ने पूछा कि क्या मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। खंडपीठ ने कहा कि अगर मामला शीर्ष अदालत के समक्ष लंबित है तो उच्च न्यायालय का दखल देना सही नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने आज फिल्म की रिलीज को चुनौती देने वाली एक इंटरलोक्यूटरी आवेदन पर विचार करने में अनिच्छा व्यक्त की थी। जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि एक इंटरलोक्यूटरी आवेदन के माध्यम से एक फिल्म की रिलीज को चुनौती देना एक उचित उपाय नहीं है।

राज ने अदालत को सूचित किया कि उनकी याचिका उच्चतम न्यायालय द्वारा की गई टिप्पणियों से पहले दायर की गई थी। उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा मौखिक रूप से सुझाई गई आवश्यकताओं को उनके द्वारा पूरा किया गया है। यह एक आईए नहीं है बल्कि उचित रूप से गठित रिट है।

फिल्म के निर्देशक की ओर से पेश अमीत नाइक ने तर्क दिया कि सेंसर बोर्ड ने अपने दिमाग लगाने के बाद 24 अप्रैल 2023 को प्रमाण पत्र जारी किया।

याचिकाकर्ता ने दलील दी,

"केरल राज्य अपने सांप्रदायिक सद्भाव और धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण के लिए जाना जाता है। फिल्म की रिलीज केवल राज्य के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को बाधित और नष्ट कर देगी। फिल्म जानबूझकर केरल राज्य को एक नकारात्मक प्रकाश में चित्रित करती है। टीज़र और ट्रेलर इस तथ्य की पुष्टि करेंगे कि फिल्म में सार्वजनिक व्यवस्था, शालीनता और नैतिकता, विशेष रूप से महिलाओं और मुस्लिम समुदाय को परेशान करने की प्रवृत्ति और क्षमता है।"

याचिकाकर्ता का तर्क है कि फिल्म केरल को नकारात्मक रूप से चित्रित करती है और फिल्म की रिलीज से मुस्लिम समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचेगी और राज्य के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को नुकसान पहुंचेगा। फिल्म को रिलीज करने का एकमात्र उद्देश्य नफरत का प्रचार फैलाना और मुस्लिम समुदाय, विशेष रूप से केरल और आम जनता पर नकारात्मक प्रभाव पैदा करना है।

याचिका में कहा गया है,

"वर्तमान फिल्म और टीज़र और ट्रेलर सहित सभी संबंधित सामग्री मुस्लिम समुदाय के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल करती है।“

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन, राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी सीपीआई (एम) और विपक्षी कांग्रेस ने फिल्म को सांप्रदायिक घृणा पैदा करने वाला बताया है।

केस टाइटल: एडवोकेट अनूप वीआर बनाम केरल राज्य


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