क्रिसमस और नए साल के दौरान धार्मिक स्थलों पर इकट्ठा होने पर पूर्ण प्रतिबंध को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती
दिल्ली हाईकोर्ट में धार्मिक स्थलों पर क्रिसमस और नए साल के दौरान धार्मिक सभाओं पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के दिल्ली सरकार के आदेशों को चुनौती दी गई। राज्य सरकार के आदेशों को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई।
याचिका अधिवक्ताओं मनोज वी जॉर्ज, शिल्पा लिजा जॉर्ज, आकृति सेठ, अमित कुमार और पलक अरोड़ा के माध्यम से दायर की गई। याचिका में कहा गया कि दिल्ली सरकार ने बार, रेस्तरां, ऑडिटोरियम आदि को 50% क्षमता के साथ काम करने की अनुमति दी है। सिनेमाघरों को शत प्रतिशत क्षमता के साथ काम करने की अनुमति दी है। पर इसने धार्मिक सभाओं पर पूरी तरह से रोक लगा दी है।
याचिका में कहा गया कि उपरोक्त कार्यवाही संविधान के अनुच्छेद 14 के साथ-साथ धर्म को मानने और प्रार्थना करने की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है। यह स्वतंत्रता संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के तहत परिकल्पित और गारंटीकृत है।
याचिका में कहा गया,
"ईसाई धर्म के सभी उत्साही भक्तों पिछले 25 दिनों से व्रत कर रहे हैं, उनको दिल्ली में क्रिसमस की पूर्व संध्या पर चैपल मास में शामिल होने से प्रतिबंधित कर दिया गया। लेकिन नागरिकों को क्रिसमस पर्व पर रात्रिभोज और व्यावसायिक गतिविधियों और खरीदारी आदि की अनुमति है। चयनात्मक रूप से धार्मिक स्थलों का बहिष्कार संवैधानिक सिद्धांतों का उल्लंघन है।"
दिल्ली सरकार ने 22 दिसंबर, 2021 को सर्कुलर जारी किया। इसमें सरकार ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया कि वे क्रिसमस और नए साल के जश्न के लिए सभी सभाओं और भीड़ के जमाव पर रोक लगाते हुए कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करें।
याचिका में कहा गया,
"यह कहा गया कि दो साल से अधिक समय से बंद रखे गए चैपल/चर्च अभी खोले गए हैं। पूरी तरह से मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के सभी कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए इस धारणा के तहत क्रिसमस की पूर्व संध्या एक नई शुरुआत के रूप में काम करेगी। इस बात पर जोर दिया जाता है कि पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के ईसाइयों को दो साल के बाद अपने संबंधित चर्चों से क्रिसमस के निमंत्रण और व्यवस्था के साथ परोसा गया है। लोगों के जमाव पर रोक लगाने के बहाने क्रिसमस की सभा में शामिल होने के उनके अधिकार पर अंकुश लगाना अनुच्छेद 25 और 26 का उल्लंघन होगा।"
तदनुसार, याचिका में धार्मिक पूजा स्थलों पर क्रिसमस और नए साल के दौरान धार्मिक सभाओं को प्रतिबंधित करने की सीमा तक 12 दिसंबर और 22 दिसंबर, 2021 के आक्षेपित आदेश की मांग की गई।
याचिका में क्रिसमस और नए साल के लिए चर्चों में पूजा सेवाओं की अनुमति देने के लिए दिल्ली सरकार को एक और निर्देश देने की भी मांग की गई है।
याचिका दिल्ली सरकार को क्रिसमस और नए साल के दौरान चर्चों में आयोजित ऐसी किसी भी पूजा सेवाओं के लिए गृह और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी एसओपी दिनांक 01.03.2021 के अनुपालन में मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी करने का निर्देश देने की भी मांग करती है।
याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई होने की संभावना है।
केस का शीर्षक: कमलेश जैकब और अन्य बनाम राज्य (दिल्ली का राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) और अन्य।