भारतीय सेना के अधिकारियों की पत्नियों का गलत चित्रण करने और सेना की वर्दी का अनादर करने के मामले में लिए एकता कपूर प्रोडक्शन हाउस के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका
इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष एक जनहित याचिका दायर कर मांग की गई है कि विडियो प्लेटफाॅर्म-एएलटी बालाजी पर सदस्यता पर आधारित वेब सीरीज ''एक्सएक्सएक्स-सीजन दो'' की स्ट्रीमिंग पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया जाए क्योंकि कथित तौर पर इस सीरीज में भारतीय सेना और उनकी वर्दी का अनादर किया गया है।
यह याचिका एक भारतीय सैनिक के बहनोई अनिरुद्ध सिंह ने दायर की है, जिसमें एकता कपूर द्वारा निर्मित शो पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है। जो कथित रूप से सेना के अधिकारियों की पत्नियों की सामाजिक प्रतिष्ठा को धूमिल कर रही है।
याचिका के अनुसार सीरीज के एपिसोड 1 में भारतीय सेना के एक पूर्व कर्नल की पत्नी को एक व्यभिचारी महिला के रूप में दिखाया गया है, जो अंततः ''कामुक तरीके''से भारतीय सेना की वर्दी फाड़ देती है।
याचिका में कहा गया है कि
''इस एपिसोड के प्रसारण में चित्रण यह संदेश देता है कि जब अधिकारी राष्ट्र की सेवा में लगे रहते हैं ,उस समय भारतीय सेना के अधिकारियों की पत्नियां विवाहेतर संबंधों में लिप्त रहती हैं और उनकी पीठ पीछे व्यभिचार करती हैं।''
यह याचिका अधिवक्ता अंकुर वर्मा, अभिनव गौड़ और धनंजय राय के माध्यम से दायर की गई है, जिसमें कहा गया है कि आर्मी अधिकारियों के जीवनसाथी का ऐसा अपमानजनक चित्रण करने से सैनिकों की मानसिक शांति और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य को ''अपूरणीय क्षति'' हो सकती है और उनकी कार्यशैली पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
यह भी आरोप लगाया गया है कि ''भारतीय आर्मी की वर्दी को भारत के राज्य-चिन्ह के साथ फाड़ने का कार्य उन लाखों सेना अधिकारियों की भावनाओं का अपमान करता है जो या तो सेवानिवृत्त हो चुके हैं या अब भी भारतीय सेना में सेवा दे रहे हैं, क्योंकि यह वर्दी उनका गौरव और सम्मान है, न केवल मनोरंजन के लिए उपयोग किया जाने वाला एक कपड़े का टुकड़ा।
... एक कामुक कॉमेडी-ड्रामा वेब सीरीज में एक सस्ते प्रॉप के रूप में वर्दी का उपयोग करना न केवल घिनौना और असंवेदनशील काम है, बल्कि यह इस वर्दी और इसके साथ जुड़ी भावनाओं का भी अपमान है।''
यह दलील दी गई है कि उपरोक्त चित्रण इंडीसेंट रिप्रेज़ेंटेशन ऑफ वूमन (प्रोअबिशन) एक्ट 1986,दा स्टेट एंब्लम ऑफ इंडिया (प्रोअबिशन ऑफ इम्प्रॉपर यूज) एक्ट 2005 और भारतीय दंड संहिता और आईटी एक्ट 2000 की विभिन्न प्रासंगिक धाराओं के तहत दंडनीय हैं।
इसी बीच यह भी आरोप लगाया गया है कि इस तरह का चित्रण सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी स्पष्ट अपमान है, जिसमें कहा गया था कि किसी भी इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री का प्रकाशन या प्रसारण नहीं किया जाएगा। वहीं यौन शोषण से संबंधित किसी भी सामग्री के प्रसारण और बच्चों को यौन क्रिया में चित्रित करने वाली सामग्री के प्रकाशन व प्रसारण भी रोक लगाने का आदेश दिया गया था।
याचिकाकर्ता का कहना है कि जबकि फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन एक मौलिक अधिकार है, परंतु सविधान के अनुच्छेद 19 (2) के तहत इस मौलिक अधिकार के संबंध में कुछ उचित प्रतिबंध भी लगाए गए हैं।
यह भी कहा गया है कि सशस्त्र बल एक विशेष सेवा है और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 33 के संदर्भ में उनसे विभेदित या अलग व्यवहार किए जाने की आवश्यकता है।
याचिका में कोर्ट से आग्रह किया गया है कि वह ऑनलाइन प्लेटफॉर्म-एएलटी बालाजी और किसी अन्य प्लेटफॉर्म के जरिए इस वेब सीरीज के प्रसारण पर रोक लगा दें। यह कहते हुए दलील दी गई है कि-
''कम से कम यह उम्मीद की जाती है कि सशस्त्र बलों के सम्मान की रक्षा की जाए,परंतु यह सीरीज सशस्त्र बलों के मूल अधिकार छीनने वाली है। जो देश की रक्षा करते है,उनका इस तरह से अपमान नहीं किया जा सकता है।''
याचिकाकर्ता ने यह भी मांग की है कि प्रतिवादियों को अनुकरणीय जुर्माने का भुगतान करने के लिए निर्देश दिया जाए या उन पर जुर्माना लगाया जाए। जो राष्ट्रीय रक्षा कोष में जमा कराया जाए। ताकि भविष्य में इस तरह की कार्रवाइयों पर रोक लगाई जा सकें। वहीं प्रतिवादियों को यह भी निर्देश दिया जाए कि वह भारतीय राष्ट्रीय सेना से राष्ट्रीय समाचार पत्र और राष्ट्रीय टेलीविजन के जरिए सार्वजनिक तौर पर माफी मांगे।