असम में स्थित अवैध कोक प्लांट के संचालक और बेनामी लेनदेन का भी पता चला: मेघालय हाईकोर्ट में पुलिस ने कहा

Update: 2023-06-08 07:23 GMT

मेघालय हाईकोर्ट में पश्चिम खासी हिल्स जिलों के शैलांग क्षेत्र में अवैध कोक ओवन संयंत्रों की स्थापना के पीछे व्यक्तियों का पता लगाने के निर्देश के आदेश के अनुसरण में पुलिस ने बताया कि जांच से पता चला है कि ऑपरेटर अधिकतर असम आधारित हैं और उनकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की गई है।

डीजीपी डॉ. एल.आर. बिश्नोई ने कोर्ट को बताया,

“जहां तक अवैध कोक संयंत्रों के वास्तविक मालिकों/संचालकों का संबंध है, जमीन के मालिकों की जांच से पता चला है कि वे ज्यादातर असम में स्थित हैं और मेघालय में अवैध कारोबार चला रहे हैं और कई बेनामी लेनदेन भी सामने आए हैं। बेनामी निषेध अधिनियम, 2016 की धारा 53(1) को लंबित मामले में जोड़ने के लिए सक्षम अदालत से पहले ही अनुरोध किया जा चुका है, जिसके लिए जांच में प्रकाश डाला गया है।“

डीजीपी ने आगे कहा कि कुर सोहबर कबीले की जमीन पर अवैध कोक प्लांट चल रहे थे और सीआरपीसी की धारा 91 के तहत कबीले के "प्रबंधित/एजेंट" को नोटिस जारी किया गया। डीजीपी द्वारा दायर हलफनामे के अनुसार, यह पाया गया कि जिस जमीन पर अवैध कोक ओवन प्लांट चल रहा था, वह 32 व्यक्तियों की है, "जिनमें से सभी महिलाएं और ज्यादातर वृद्ध महिलाएं थीं।"

यह कहते हुए कि सीआरपीसी की धारा 41ए नोटिस उन्हें जारी किया गया, डीजीपी ने कहा कि जांच से पता चला है कि 28 लोगों में से अधिकांश असम में हैं और बहुत कम मेघालय में हैं।

अदालत को आगे बताया गया कि इन 28 व्यक्तियों को गिरफ्तार करने के लिए असम और मेघालय में छापे मारे गए, लेकिन वे अपने उपलब्ध पते से फरार पाए गए और आज तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई। पुलिस ने कहा कि अगर आरोपियों का जल्द पता नहीं चलता है तो सीआरपीसी की धारा 82 और 83 के तहत उचित कार्रवाई शुरू की जाएगी।

दिसंबर, 2022 में पश्चिम खासी हिल्स जिले के शालंग क्षेत्र में 57 अवैध कोक ओवन संयंत्रों को बंद कर दिया गया। आईपीसी की धारा 188 सपठित धारा 34, एमएमडीआर एक्ट की धारा 21 (1), जिसमें बाद में पर्यावरण विभाग ने आईपीसी की धारा 379 और 120B जोड़ने का अनुरोध किया; इसके अलावा, एमएमडीआर अधिनियम, 1957 की धारा 3(1) आर/डब्ल्यू 21; पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 15 और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, 1908 की धारा 3 के तहत एफआईआर दर्ज की गई।

अदालत ने मई में कहा था,

"इस अदालत के बार-बार के आदेशों के बावजूद, राज्य ने खतरे की जांच करने के लिए बहुत कम ध्यान दिया... और राज्य को अवैध कोयला संयंत्रों के पीछे व्यक्तियों को इंगित करने का निर्देश दिया गया, जो कि स्थापित किए गए और उन्हें कानून के दायरे में लाने के लिए कदम उठाए गए हैं।”

डीजीपी ने अब अदालत को बताया कि जिले में "कोयले के अवैध परिवहन को पूरी तरह से खत्म करने" के लिए पश्चिम खासी हिल्स के उपायुक्त ने अधिकारियों को कोक ओवन संयंत्रों को उनके संचालन को अस्थायी रूप से तब तक निलंबित करने का निर्देश दिया है, "जब तक कि उनके स्रोत कोयले का ऑडिट नहीं हो जाता।" उक्त संयंत्तरो के ऑडिट के लिए जस्टिस (सेवानिवृत्त) कटके की समिति ने किया गया है, जिन्हें हाईकोर्ट द्वारा नियुक्त किया गया है।

केस टाइटल: शैलेंद्र कुमार शर्मा बनाम मेघालय राज्य व अन्य।

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