"इस्लाम धर्म अपनाने वाली महिला को धमकी देने का सवाल ही नहीं उठता" : यूपी पुलिस ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा

Update: 2021-11-08 13:20 GMT

उत्तर प्रदेश पुलिस ने दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष शाहजहांपुर की एक महिला द्वारा लगाए गए उत्पीड़न के आरोपों का खंडन किया है। महिला ने इस्लाम धर्म अपना लिया था और आरोप लगाया था कि उसे और उसके परिवार को धमकी दी जा रही है।

न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ के समक्ष यूपी पुलिस ने प्रस्तुत किया कि न तो एजेंसी ने महिला या उसके परिवार के खिलाफ यूपी गैरकानूनी धार्मिक रूपांतरण निषेध अधिनियम, 2020 के तहत कोई मामला दर्ज किया है और न ही महिला ने खुद उन अधिकारियों के खिलाफ कोई मामला दर्ज किया है जिन्होंने कथित तौर पर उसे धमकी दी थी।

उत्तर प्रदेश राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने कहा, "कोई मामला नहीं है। हमें वास्तव में आश्चर्य है कि यह याचिका यूपी राज्य के खिलाफ क्यों दायर की गई है।"

उन्होंने जोड़ा,

"हमने जिला पुलिस स्टेशन से जांच की है जहां, महिला ने दावा किया है कि वह गई थी और उसे धमकी दी गई थी। याचिकाकर्ता द्वारा किसी भी स्तर पर या उसके पिता द्वारा किसी भी पुलिस स्टेशन में कोई शिकायत दर्ज नहीं की गई। आज तक उसके या उसके पिता या उसके पति के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है।"

महिला ने दावा किया था कि उसे और उसके परिवार को जीवन के लिए एक अत्यधिक खतरा का सामना करना पड़ रहा था क्योंकि उत्तर प्रदेश पुलिस के अधिकारियों द्वारा उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है।

तदनुसार, अदालत ने महिला को अंतरिम सुरक्षा प्रदान की थी।

दिल्ली पुलिस आयुक्त और जीएनसीटीडी की ओर से पेश अधिवक्ता समीर वशिष्ठ ने सोमवार को कहा कि याचिकाकर्ता ने उन्हें सुरक्षा प्रदान करने के लिए कभी भी दिल्ली पुलिस को कोई पता नहीं दिया।

उन्होंने कहा,

"उन्होंने मामले को भी सनसनीखेज बना दिया है। दिल्ली पुलिस को खलनायक बना दिया गया है।"

इसे देखते हुए कोर्ट ने यूपी सरकार का बयान दर्ज किया कि उनके द्वारा याचिकाकर्ता को कोई धमकी देने का कोई सवाल ही नहीं है और यह भी प्रस्तुत किया गया है कि महिला स्वयं कोई विवरण प्रदान करने में विफल रही कि उसे कथित तौर पर कहां से धमकी मिली थी।

यह देखते हुए कि याचिका में कुछ भी नहीं बचा है, अदालत ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए 10 नवंबर को इस तथ्य के कारण पोस्ट कर दिया कि याचिकाकर्ता की ओर से पेश होने वाले प्रॉक्सी वकील मामले पर बहस करने की स्थिति में नहीं हैं।

संक्षेप में तथ्य (जैसा कि उनकी याचिका में कहा गया है)

याचिकाकर्ता दिल्ली में एक कामकाजी महिला है और दिल्ली में ही रहती है। वह मूल रूप से उत्तर प्रदेश की है और 27 मई, 2021 को उसने अपनी मर्जी से और बिना किसी धमकी या जबरदस्ती के इस्लाम धर्म अपना लिया था।

23 जून, 2021 को जब वह उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में थीं तो उन्हें विभिन्न मीडियाकर्मियों के टेलीफोन कॉल आने लगे। मीडियाकर्मियों ने उनके साथ एक बैठक का अनुरोध किया, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया।

इसके बाद वे उसकी इच्छा के विरुद्ध उसके घर आए और फिर उन्होंने उसकी तस्वीरें लीं। साथ ही उसकी अनुमति के बिना और उसकी इच्छा के विरुद्ध धमकी देकर वीडियो बनाया। उसने अपनी याचिका में कहा है कि उत्तर प्रदेश में छोटे स्तर के समाचार पत्रों और समाचार पोर्टलों में याचिकाकर्ता के धर्मांतरण के संबंध में पूरी तरह से बेतुका और काल्पनिक विवरण देने के संबंध में कई समाचार रिपोर्टें सामने आईं। इसके अलावा, उसने सुरक्षा के लिए दिल्ली पुलिस आयुक्त को एक पत्र लिखा और आरोप लगाया कि उसे अलग-अलग लोगों से कई कॉल और संदेश प्राप्त हो रहे है। इस कॉल्स पर कहा जा रहा है कि उन्हें जबरन वापस उत्तर प्रदेश बुलाया जाएगा और फिर से उनका धर्म परिवर्तन कराया जाएगा।

याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि 26 जून, 2021 को उसके पिता को उत्तर प्रदेश पुलिस के अधिकारियों ले गए थे। इस संबंध में उसे सूचित किया गया था कि वे दिल्ली आएंगे। मगर वह उन्हें वापस उत्तर प्रदेश ले गए, जहां उसे झूठी शिकायत/एफआईआर दर्ज करने के लिए मजबूर किया जाएगा। उसने अपनी जमानत याचिका में प्रस्तुत किया है कि वह एक वयस्क है और वह अपने धर्म को चुनने के लिए संविधान द्वारा संरक्षित है और वह जिस धर्म का पालन करती है। उसके लिए उसे परेशान नहीं किया जा सकता।

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