मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम: हाईकोर्ट ने हिंदू महिला को धर्मांतरण करने का प्रयास की आरोपी कैथोलिक नन की गिरफ्तारी पर रोक लगाई

Update: 2021-03-19 06:12 GMT

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने मंगलवार (16 मार्च) को एक कैथोलिक नन को अग्रिम जमानत दी, जो खजुराहो के सेक्रेड हार्ट कॉन्वेंट हाई स्कूल की प्रधानाचार्य है, जिस पर एक हिंदू महिला को ईसाई  में धर्मांतरण करने के प्रयास का आरोप था।

न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन की खंडपीठ सिस्टर भाग्य की अग्रिम जमानत की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम( Madhya Pradesh Freedom of Religion Act), 2020 की धारा 3 और धारा 5 के दंडनीय अपराध के तहत दर्ज एक मुकदमे में गिरफ्तारी से बचने के लिए अग्रिम जमानत की मांग की थी। 

मामले के तथ्य

आवेदक जिला छतरपुर के खजुराहो के सेक्रेड हार्ट कॉन्वेंट हाई स्कूल की प्रधानाचार्य है। उनके खिलाफ मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2020 की धारा 3 और धारा 5 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया।

उनके खिलाफ आरोप यह है कि उन्होंने एक पूर्व स्टाफ सदस्य का धर्म परिवर्तन करने का प्रयास किया जो उक्त स्कूल में सहायक लाइब्रेरियन के रूप में कार्य करती थी और बाद में  खराब प्रदर्शन के कारण शिकायतकर्ता की सेवाएं समाप्त कर दी गईं।

शिकायतकर्ता द्वारा यह आरोप लगाया गया कि शिकायतकर्ता के पति एक मानसिक विकार से पीड़ित हैं, इसलिए उनसे कहा गया कि अगर शिकायतकर्ता और उनका पूरा परिवार ईसाई धर्म में परिवर्तित हो जाता है तो उनके पति को ठीक कर दिया जाएगा।

एफआईआर के मुताबिक आवेदक ने यह प्रलोभन दिया था कि ईसाई धर्म के भगवान हिंदू धर्म के भगवान से महान होते हैं।

आवेदक के वकील ने कहा कि शिकायत झूठी है और यह शिकायत शिकायतकर्ता की कॉन्वेंट की सेवा समाप्त किए जाने के कारण निराशा की भावना की वजह से दर्ज की गई।

 आवेदक के वकील ने इस संबंध में अदालत का ध्यान एसडीएम को संबोधित करते हुए प्रधानाचार्य के ऊपर दर्ज शिकायत पर आकर्षित किया।

आवेदक ने शिकायत में कहा है कि शिकायतकर्ता को उनके खराब प्रदर्शन और दस्तावेजों की कमी के कारण स्कूल की सेवाएं समाप्त कर दी गई थीं और इसके साथ ही शिकायतकर्ता ने उनकी नौकरी वापस से बहाल नहीं होने पर आत्मदाह करने की धमकी दी है।

प्रावधान

मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम, 2020 की धारा 3 में यह प्रावधान है कि कोई भी व्यक्ति धर्मांतरण, खरीद, धमकी या बल का उपयोग, अनुचित प्रभाव, ज़बरदस्ती विवाह या कोई धोखाधड़ी का उपयोग करके किसी भी अन्य व्यक्ति को सीधे या अन्य किसी भी व्यक्ति को धर्मांतरित करने या उसके धर्म को परिवर्तित करने का प्रयास नहीं करेगा। यह दंडनीय अपराध है।

इसके अलावा, अगर कोई इस प्रावधान (अधिनियम की धारा 3) के उल्लंघन में धर्मान्तरित करता है, तो ऐसे धर्मांतरण को शून्य माना जाएगा।

अधिनियम की धारा 5 में अध्यादेश की धारा 3 के उल्लंघन के लिए सजा का प्रावधान है।

अधिनियम की 5 धारा में कहा गया है कि यदि कोई भी व्यक्ति धारा 3 के तहत प्रावधानों का उल्लंघन करता है तो उस व्यक्ति को एक अवधि के लिए कारावास की सजा दी जाएगी, जो एक वर्ष से कम नहीं होगी लेकिन जो पांच साल तक बढ़ सकती है और इसके साथ ही जुर्माने के रूप में कम-से-कम 25,000 रूपये भरने होंगे।

कोर्ट का आदेश

कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आदेश दिया कि सुनवाई की अगली तारीख तक आवेदक को 10,000 रूपये के एक निजी बांड और इतनी ही राशि का एक जमानदार पेश करने की शर्त  पर  सक्षम अधिकारी की संतुष्टि के अनुसार जमानत मंजूर की जाए। इसके साथ ही पुलिस की जांच के दौरान पेश होने का निर्देश दिया गया।

इस मामले को 07 अप्रैल को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है और इसके साथ ही इस मामले में लिखित आपत्तियां दर्ज करने के लिए आपत्तिकर्ता को स्वतंत्रता दी गई है।

आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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