मणिपुर हिंसा: हाईकोर्ट ने फैक्ट फाइंडिंग मिशन पर दर्ज एफआईआर में वकील का अंतरिम संरक्षण 13 सितंबर तक बढ़ाया
मणिपुर हाईकोर्ट ने गुरुवार को एडवोकेट दीक्षा द्विवेदी को दी गई अंतरिम सुरक्षा को 13 सितंबर तक बढ़ा दिया। एडवोकेट के खिलाफ मणिपुर हिंसा के संबंध में एक फैक्ट फाइंडिंग मिशन में भाग लेने के बाद एक एफआईआर दर्ज की गई थी।
द्विवेदी पर राजद्रोह, भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश आदि के लिए मामला दर्ज किया गया है। उन्होंने पहले सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था जिसने उन्हें गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा और हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता दी थी।
जस्टिस गुणेश्वर शर्मा की पीठ ने राज्य सरकार द्वारा इस मामले में अपना जवाबी हलफनामा दायर करने के बाद यह आदेश पारित किया। अदालत ने प्रतिवादी संख्या तीन को अपना जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए दो सप्ताह का समय भी दिया है।
इसके अलावा, द्विवेदी को मामले में प्रत्युत्तर दाखिल करने की भी छूट दी गई है। मामले की अगली सुनवाई 13 सितंबर को तय की गई है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष द्विवेदी के वकील ने आग्रह किया था कि वहां की स्थिति को देखते हुए मणिपुर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना मुश्किल होगा।
सॉलिसिटर जनरल की दलीलों के बाद सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने उन्हें हाईकोर्ट के समक्ष वर्चुअल उपस्थित होने की स्वतंत्रता दी।
शीर्ष अदालत को सूचित किया गया कि द्विवेदी और उनके निर्देश देने वाले वकील दोनों को ऑनलाइन धमकियाँ मिल रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया , "किसी भी शिकायत के मामले में आपको संपर्क करने की स्वतंत्रता है।"
इसके बाद याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का रुख किया और 1 अगस्त को हाईकोर्ट ने अंतरिम संरक्षण 17 अगस्त तक बढ़ाते हुए मामले में नोटिस जारी किया।
केस टाइटल: दीक्षा द्विवेदी बनाम मणिपुर राज्य एवं अन्य। [डब्ल्यूपी (सी) नंबर 533/2023]
ऑर्डर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें