नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार करने और उसके परिवार को इस्लाम में परिवर्तित करने के लिए दबाव डालने का आरोप: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी को जमानत देने से इनकार किया

Update: 2021-08-09 02:51 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार करने और उसके परिवार के सदस्यों को इस्लाम में परिवर्तित करने के लिए दबाव डालने के आरोपी की जमानत याचिका खारिज की।

न्यायमूर्ति अजीत सिंह की खंडपीठ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए कि नाबालिग बेटी के साथ बलात्कार किया गया और पूरे परिवार को इस्लाम धर्म अपनाने के लिए दबाव डालने के आरोपी अब्दुल रहमान को जमानत देने से इनकार कर दिया।

संक्षेप में तथ्य

रहमान पर आईपीसी की धारा 452/376/120-बी और पॉक्सो अधिनियम की धारा 3/4, 17/18 और उत्तर प्रदेश गैर कानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम 2020 की धारा 3/5 (1) और सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम की धारा 66E के तहत मामला दर्ज किया गया है।

प्राथमिकी के अनुसार आरोपी/याचिकाकर्ता और सह-अभियुक्त कलीम के खिलाफ दर्ज की गई है। यह आरोप लगाया गया है कि रहमान शिकायतकर्ता के घर में घुस गया और उसकी नाबालिग बेटी के साथ जबरदस्ती बलात्कार किया जब वह अपने घर पर अकेली थी।

यह भी आरोप लगाया गया कि आरोपी ने पीड़िता का वीडियो क्लिप बनाया और उस पर फिर से शारीरिक संबंध बनाने के लिए दबाव बना रहा था और जब शिकायतकर्ता (पीड़िता के पिता) ने पिता (आरोपी के) से वीडियो क्लिप को हटाने के लिए कहा, तब उन्होंने कहा कि जब तुम्हारा पूरा परिवार धर्म परिवर्तन करेगा तो मेरा बेटा तुम्हारी बेटी से शादी करेगा, नहीं तो मैं उससे शादी कर लूंगा।

प्रस्तुतियां

आवेदक के वकील ने प्रस्तुत किया कि आरोपी निर्दोष है और उसे इस मामले में झूठा फंसाया गया है और उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और वह 26 जनवरी से जेल में बंद है।

एजीए ने जमानत याचिका का विरोध किया और कहा कि पुलिस ने जांच के दौरान नाबालिग पीड़िता की बनाई गई एक वीडियो क्लिप को अपने कब्जे में ले लिया है।

एजी ने आगे कहा कि लड़की लगभग 14 साल की नाबालिग है और आरोपी और उसके परिवार ने पीड़ित परिवार पर धर्म परिवर्तन के लिए दबाव डालने की भी कोशिश की।

अदालत ने जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि,

"मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करने के बाद और मामले की गंभीरता को देखते हुए कि नाबालिग बेटी के साथ बलात्कार किया गया और पूरे परिवार को धर्म बदलने के लिए कहा गया। इस मामले की मैरिट को देखते हुए आवेदक की जमानत याचिका खारिज की जाती है।"

केस का शीर्षक - अब्दुल रहमान @ गोलू बनाम यू.पी. राज्य

आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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