मप्र हाईकोर्ट ने 'भावनाओं को ठेस पहुंचाने' के लिए फार्मा फर्म के प्रमुख के खिलाफ मामला खारिज किया

Update: 2022-12-28 07:30 GMT

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में एक फार्मा फर्म के प्रमुख के खिलाफ कंडोम एड प्रकाशित करने के लिए शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही खारिज कर दी। इस एड की पृष्ठभूमि में युगल गरबा खेल रहे है। इस एड पर कथित रूप से धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाने के आरोप लगाए गए।

जस्टिस सत्येंद्र कुमार सिंह की पीठ ने एड की सामग्री पर गौर करने के बाद पाया कि आरोपी का इरादा सिर्फ अपनी कंपनी के प्रोडक्ट को बढ़ावा देना है और किसी भी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है।

नतीजतन, यह माना जा सकता है कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 295-ए, 505 और आईटी अधिनियम की धारा 67 के तहत अपराध नहीं बनता है। इसलिए अदालत ने एफआईआर, चार्जशीट और बाद में न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत के समक्ष उसके खिलाफ लंबित आपराधिक कार्यवाही भी रद्द कर दी।

मामला संक्षेप में

मॉर्फस फार्मास्यूटिकल्स प्राइवेट नाम की फार्मा कंपनी (महेंद्र त्रिपाठी मालिक) लिमिटेड ने 2018 में नवरात्रि के दौरान दो दिनों के लिए मुफ्त कंडोम और प्रेग्नेंसी किट का प्रचार प्रस्ताव चलाया और व्हाट्सएप ग्रुप्स और फेसबुक पेज पर "प्री लवरात्रि वीकेंड ऑफर - कंडोम (3 का पैक)/प्रेग्नेंसी टेस्ट किट" बताते हुए एड की छवि पोस्ट की।"

इस तरह के अभियान को चलाने के पीछे लोगों को यह बताना है कि कंपनी 06.10.2018 से 07.10.2018 तक मुफ्त कंडोम पैक और प्रेग्नेंसी किट प्रदान करने की पेशकश कर रही है। उक्त तस्वीर के बैकग्राउंड में गरबा खेल रहे जोड़े को भी दिखाया गया।

अब शिकायतकर्ता अजय ने एसएचओ को लिखित शिकायत दी कि आवेदक द्वारा प्रकाशित विज्ञापन लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाता है। इसके बाद आवेदक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।

अभियोजन स्वीकृति प्राप्त की गई और जांच पूरी होने के बाद जेएमएफसी, इंदौर के न्यायालय के समक्ष आवेदक के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया। इसलिए आवेदक ने सीआरपीसी की धारा 482 के तहत एफआईआर रद्द कराने के लिए वर्तमान याचिका के साथ हाईकोर्ट का रुख किया।

न्यायालय के समक्ष आवेदक के वकील ने प्रस्तुत किया कि चूंकि आवेदक अपना फार्मेसी व्यवसाय चला रहा है, उसने गरबा अवधि के दौरान ग्राहकों को लुभाने के लिए नेक नीयत से एड प्रकाशित किया, क्योंकि विभिन्न कंडोम कंपनियां स्वयं प्रचार प्रस्ताव लेकर आईं।

उसकी याचिका का विरोध करते हुए राज्य के वकील ने तर्क दिया कि आवेदक द्वारा पोस्ट की गई छवि की सामग्री ने हिंदू समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत किया और नवरात्रि अवधि के दौरान इस प्रकार की पेशकश स्वयं आवेदक के आपराधिक इरादे को दर्शाती है। इस प्रकार, उसे कोई राहत नहीं दी जानी चाहिए।

न्यायालय की टिप्पणियां

एड की सामग्री के साथ-साथ उस पर लगे आरोपों पर विचार करने के बाद अदालत ने कहा,

"चूंकि उक्त पोस्ट के अलावा रिकॉर्ड में कुछ भी नहीं है, जो उनके इस तरह के इरादे को इंगित करता है। इस तथ्य पर विचार करते हुए कि वह खुद हिंदू समुदाय से संबंधित हैं और इस तथ्य पर भी कि उसने अपनी पहचान छुपाए बिना उक्त तस्वीर को अपने मोबाइल नंबर से पोस्ट किया। ऐसा प्रतीत होता है कि उसका इरादा सिर्फ अपनी कंपनी के उत्पाद को बढ़ावा देना है और किसी भी समुदाय की धार्मिक भावनाओं और भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है।"

इसके अलावा, न्यायालय ने यह भी कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 295-ए की आवश्यक सामग्री यानी "..... धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण इरादा ...... या ..... धर्म या धार्मिक का अपमान करना एक वर्ग की मान्यताएं ......." और आईपीसी की धारा 505 की आवश्यक सामग्री यानी ".... उकसाने के इरादे से .... किसी व्यक्ति के किसी वर्ग या समुदाय को कोई अपराध करने के लिए ..... या समुदाय "वर्तमान मामले में पूरा नहीं किया गया है। इसलिए न्यायालय ने कहा कि यह स्पष्ट है कि उक्त अपराध को आवेदक के खिलाफ नहीं कहा जा सकता।

नतीजतन, यह देखते हुए कि मामले को जारी रखने के लिए अभियोजन पक्ष अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग करेगा, अदालत ने आवेदक के खिलाफ पूरी आपराधिक कार्यवाही रद्द कर दी।

केस टाइटल- महेंद्र त्रिपाठी बनाम मध्य प्रदेश राज्य [MISC. आपराधिक मामला नंबर 40839/2021]

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