लखनऊ आतंकी साजिश केस 2021: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दो आरोपियों को जमानत दी

Update: 2023-03-14 08:36 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में लखनऊ में प्रेशर कुकर बम विस्फोट करने की साजिश के सिलसिले में पिछले साल गिरफ्तार किए गए दो कथित आतंकवादियों को जमानत दे दी। इससे पहले एनआईए कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी।

जस्टिस अताउ रहमान मसूद और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने आरोपी मो. मुस्तकीम और मोहम्मद शकील को उनके 'बेदाग' आपराधिक रिकॉर्ड की और उन अपराधों की गंभीरता को देखते हुए जिन पर मुकदमा चलाया गया है, ज़मानत दे दी।

कोर्ट ने इस तथ्य को भी ध्यान में रखा कि वे पिछले एक साल और आठ महीने से जेल में हैं और मामले की सुनवाई शुरू हो चुकी है।

एटीएस ने जुलाई 2021 में ऑपरेशन अंसार गजवातुल हिंद संगठन से जुड़े मिन्हाज और बशीरुद्दीन नाम के दो आतंकवादियों को लखनऊ से इस आरोप में गिरफ्तार किया कि उन्होंने 15 अगस्त, 2021 को लखनऊ में प्रेशर कुकर बम हमले की साजिश रची थी।

14 दिन की पुलिस रिमांड के दौरान दोनों आतंकियों ने मौजूदा आरोपी मो. मुस्तकीम और मोहम्मद शकील का नाम बताया। इसके बाद दोनों को जुलाई 2021 में गिरफ्तार किया गया और उन पर विभिन्न आतंकी आरोपों के तहत मामला दर्ज किया गया।

मामले में विवेचना के बाद विशेष न्यायालय के समक्ष आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया तथा विवेचना के दौरान एकत्रित समस्त सामग्री की जांच करने पर प्रथम दृष्टया आईपीसी की धारा 120बी एवं आर्म्स एक्ट की धारा 25(1बी)(ए) के तहत उन पर मुकदमा दर्ज किया गया।

एनआईए कोर्ट द्वारा उनकी जमानत याचिकाओं को खारिज करने के बाद वे हाईकोर्ट गए। हाईकोर्ट में अपीलकर्ताओं ने तर्क दिया कि प्रासंगिक सामग्री के संग्रह के साथ जांच का उद्देश्य पूरा हो चुका है। इसके बाद अपीलकर्ताओं की स्वतंत्रता को और कम कर देना, वह भी उस स्थिति में जहां मुकदमे की सुनवाई चल रही है और गवाहों की सूची लंबी होने के कारण लंबा समय लगना है, अपीलकर्ताओं को लंबे समय तक कारावास में रखना भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है।

यह आगे प्रस्तुत किया गया कि जिन अपराधों का अपीलकर्ताओं पर आरोप लगाया गया है, उन्हें मुकदमे के दौरान साबित किया जाना है और लगाए गए आरोप एनआईए अधिनियम से जुड़ी अनुसूची के दायरे में नहीं आते हैं, इसलिए उन्हें आगे और हिरासत में रखना अपीलकर्ता की स्वतंत्रता का उल्लंघन होगा।

दूसरी ओर एनआईए के वकील ने तर्क दिया कि ट्रायल कोर्ट ने उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया साक्ष्य की सराहना पर अपीलकर्ताओं की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है।

हालांकि कथित अपराधों की गंभीरता को देखते हुए न्यायालय का विचार था कि उन्होंने जमानत के लिए एक मामला बनाया है और इस प्रकार अदालत ने निर्देश दिया कि उनमें से प्रत्येक को संबंधित अदालत की संतुष्टि के अनुसार जमानत बांड और समान राशि के दो ज़मानतदार पेश करने पर जमानत पर रिहा किया जाए।


अपीयरेंस

याचिकाकर्ताओं के वकील: फुरकान पठान

प्रतिवादी के वकील: शिखा सिन्हा

केस टाइटल- मो. मुस्तकीम बनाम यूपी राज्य के माध्यम से एनआईए एक अन्य संबंधित मामले के साथ

साइटेशन: 2023 लाइवलॉ (एबी) 94

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