[मोटर दुर्घटना] यह साबित करने का भार बीमा कंपनी पर है कि ड्राइवर लाइसेंस फर्जी है: कर्नाटक हाईकोर्ट

Update: 2022-12-01 04:55 GMT

कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि दस्तावेज़ के लेखक (आरटीओ) की जांच करके और जब तक कि यह साबित न हो जाए कि दुर्घटना का शिकार हुए वाहन के ड्राइवर लाइसेंस नकली है, यह साबित करने का भार बीमा कंपनी पर है कि दस्तावेज फर्जी है। जब तक दस्तावेज फर्जी साबित नहीं हो जाता तब तक मालिक पर दायित्व का स्थानांतरण उत्पन्न नहीं होता है।

जस्टिस एच.पी. संदेश की एकल न्यायाधीश पीठ ने यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस द्वारा मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण द्वारा पारित निर्णय और अधिनिर्णय को चुनौती देने वाली अपील खारिज कर दी, जिसने उस समय 8 वर्ष के घायल मास्टर थारुन गौड़ा द्वारा दायर दावा याचिका को अनुमति दी।

बीमा कंपनी ने तर्क दिया कि आपत्तिजनक वाहन के ड्राइवर के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है और जिस ड्राइविंग लाइसेंस पर निशान लगा है, वह नकली ड्राइविंग लाइसेंस है।

रिकॉर्ड देखने के बाद पीठ ने प्रतिवादी (वाहन के मालिक) के इस तर्क को स्वीकार कर लिया कि दस्तावेज़ के लेखक की बीमा कंपनी द्वारा जांच नहीं की गई, भले ही इसका विशिष्ट तर्क यह हो कि दस्तावेज़ नकली है।

कोर्ट ने कहा,

"दस्तावेज़ को साबित करने के अभाव में कि वह नकली दस्तावेज़ है, ट्रिब्यूनल के निष्कर्ष में हस्तक्षेप करने का सवाल ही नहीं उठता।"

फिर कोर्ट ने कहा,

"दस्तावेज को नकली साबित करने का भार बीमा कंपनी पर है, सिवाय इसके कि वह पृष्ठांकन पर निर्भर हो। रिकॉर्ड में कुछ भी नहीं रखा गया और दस्तावेज़ के लेखक की भी जांच नहीं की गई। ऐसी परिस्थितियों में मुझे इसमें कोई बल नहीं मिलता। बीमा कंपनी का तर्क है कि ड्राइविंग लाइसेंस नकली दस्तावेज है। जब तक कि यह नकली दस्तावेज के रूप में साबित नहीं हो जाता, तब तक मालिक पर देयता का स्थानांतरण नहीं होता।"

इसके बाद कोर्ट ने अपील खारिज कर दी।

केस टाइटल: क्षेत्रीय प्रबंधक यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम मास्टर थारुन सी. गौड़ा और अन्य।

केस नंबर: एम.एफ.ए.एन.ओ.5197/2014

साइटेशन: लाइवलॉ (कर) 489/2022

आदेश की तिथि : 10 नवंबर, 2022

उपस्थिति: ओ महेश, अपीलकर्ता के वकील; पीएस कैलाश शंकर, आर1 के वकील; के.प्रसन्ना शेट्टी, आर2 के लिए वकील।

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