कर्नाटक बिटकॉइन स्कैम: विदेश यात्रा पर प्रतिबंध के खिलाफ आरोपी के भाई ने हाईकोर्ट का रुख किया, नोटिस जारी
कर्नाटक हाईकोर्ट ने सोमवार को कथित बिटकॉइन घोटाले के आरोपी श्रीकृष्ण के भाई सुदर्शन रमेश द्वारा दायर एक याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय को नोटिस जारी किया। इसमें अधिकारियों ने उन्हें भारत छोड़ने और नीदरलैंड की यात्रा करने से रोकने में अधिकारियों की कार्रवाई पर सवाल उठाया।
जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित ने नोटिस जारी किया। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विक्रम हुइलगोल ने तर्क दिया कि कार्रवाई याचिकाकर्ता को विदेशों में उसकी वर्तमान नौकरी की संभावनाओं से वंचित करती है और इस तरह उसे उसकी आय और आजीविका से वंचित करती है।
याचिका में कहा गया कि सुदर्शन मैकेनिकल इंजीनियर हैं और नीदरलैंड के आइंडहोवन में स्थित ब्रुनेल में कार्यरत हैं। चूंकि उनके पिता बीमारी से पीड़ित हैं और अस्पताल में भर्ती हैं, वे 12 अगस्त, 2021 को भारत आए थे। वे परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य हैं। इसके अलावा, यह कहा गया कि उनके रोजगार की स्थिति ऐसी है कि उन्हें अपने वर्क परमिट को नवीनीकृत करने के लिए विदेश में काम करना और बाहर रहने के छह महीने के भीतर नीदरलैंड लौटना आवश्यक है।
यह कहा गया कि नीदरलैंड के बाहर अपने प्रवास का विस्तार करने के लिए उनका समय 27 जनवरी को समाप्त हो रहा है। इसलिए, अपने वर्क परमिट को फिर से शुरू करने के लिए उन्हें 19 जनवरी तक नीदरलैंड पहुंचना चाहिए था। तदनुसार, 13 जनवरी को वह बैंगलोर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे और अपेक्षित इमिग्रेशन प्रोटोकॉल का अनुपालन किया। हालांकि, इससे पहले कि वह उड़ान भर पाता अधिकारियों ने उसे रोक दिया।
इसके बाद याचिकाकर्ता के पासपोर्ट पर एक पृष्ठांकन चिपका दिया गया। याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता को उक्त यात्रा प्रतिबंध पर कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई, प्रतिवादी अधिकारियों की कार्रवाई पूरी तरह से प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के विपरीत है।
इसके अलावा, यह दावा किया जाता है कि कार्रवाई याचिकाकर्ता के जीवन और आजीविका के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
यह भी कहा गया,
"जांच के दौरान बिना किसी आपत्तिजनक सामग्री के कथित घोटाले में याचिकाकर्ता के केवल संदेह पर अधिकारियों ने यात्रा प्रतिबंध लगाया है जो पूर्व-दृष्टया, गलत और और इसे रदद् कर देना चाहिए।"
याचिका में 13 जनवरी के आक्षेपित पृष्ठांकन और उसके बाद की गई सभी कार्रवाई को रद्द करने की प्रार्थना की गई है, जो याचिकाकर्ता के रोजगार की संभावनाओं में बाधा पैदा कर सकती है। इसके अलावा प्रार्थना की गई है कि प्रतिवादी को निर्देश देने के लिए कि याचिकाकर्ता को रोजगार के उद्देश्य से यात्रा करने की अनुमति दी जाए।
केस शीर्षक: सुदर्शन रमेश बनाम भारत संघ
केस नंबर: डब्ल्यूपी 1730/2022