इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कफील खान की मेडिकल कॉलेज से बर्खास्तगी को चुनौती देने वाली याचिका पर यूपी सरकार से मांगा जवाब

Update: 2022-02-03 09:49 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के बीआरडी मेडिकल कॉलेज से उनकी सेवाओं को समाप्त करने को चुनौती देने वाली डॉ कफील खान की याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया।

जस्टिस राजन रॉय की बेंच ने चार हफ्ते में राज्य सरकार से जवाब मांगा है। खान के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार ने निलंबन आदेश जारी किया था। खान को 2017 बीआरडी अस्पताल मामले में बर्खास्त कर दिया गया था। अगस्त 2017 में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी के कारण 63 बच्चों की मौत हो गई थी।

यह आरोप लगाया गया कि जब उक्त त्रासदी हुई थी तब वह इंसेफेलाइटिस वार्ड के प्रभारी थे। उक्त बर्खास्तगी को चुनौती देते हुए उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया।

खान ने दलील दी कि मामले में कई जांच समितियों से हरी झंडी मिलने के बावजूद उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गई। उन्होंने आठ आरोपियों में से खान को छोड़कर सभी को बहाल कर दिया।

डॉ कफील खान के बारे में

डॉ कफील को बीआरडी ऑक्सीजन त्रासदी के बाद निलंबित कर दिया गया था। इस त्रासदी में लिक्विड ऑक्सीजन की आपूर्ति अचानक बंद होने के बाद 63 मासूम बच्चों की मौत हो गई थी। कई दौर की जांच-पड़ताल से मंजूरी मिलने के बावजूद डॉ कफील को छोड़कर अन्य सभी आरोपी जिन्हें उनके साथ निलंबित कर दिया गया था, बहाल कर दिया गया।

शुरू में उन्हें अपनी जेब से भुगतान करके आपातकालीन ऑक्सीजन आपूर्ति की व्यवस्था करने के लिए तुरंत कार्य करके एक उद्धारकर्ता के रूप में कार्य करने की सूचना मिली थी।

बच्चों को सांस लेने के लिए सिलेंडर की व्यवस्था करने के लिए नायक के रूप में सम्मानित होने के बावजूद भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 409, 308, 120-बी के तहत दर्ज एफआईआर में नामजद किया गया था। यह आरोप लगाया गया कि उन्होंने अपने कर्तव्यों में लापरवाही की, जिसके परिणामस्वरूप मेडिकल ऑक्सीजन की कमी हो गई।

उन्हें सितंबर, 2017 में गिरफ्तार किया गया और अप्रैल, 2018 में ही रिहा कर दिया गया, जब हाईकोर्ट ने यह देखते हुए उनकी जमानत अर्जी को अनुमति दे दी कि डॉ खान के खिलाफ व्यक्तिगत रूप से मेडिकल लापरवाही के आरोपों को स्थापित करने के लिए कोई सामग्री मौजूद नहीं है।

ड्यूटी में लापरवाही का आरोप लगाते हुए उन्हें सेवा से निलंबित भी कर दिया गया। विभागीय जांच की एक रिपोर्ट ने उन्हें सितंबर, 2019 में आरोपों से मुक्त कर दिया।

पिछले साल चीफ जस्टिस बोबडे की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था। इस आदेश में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत डॉ कफील खान की नजरबंदी को रद्द कर दिया गया था।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अगस्त, 2021 में दिसंबर, 2019 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में एक विरोध बैठक में सीएए और एनआरसी के बारे में दिए गए उनके भाषण पर एक एफआईआर और उनके खिलाफ लंबित पूरी आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया।

जस्टिस गौतम चौधरी की खंडपीठ ने पूरी आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया है, जो उनके कथित भड़काऊ भाषण के बाद शुरू की गई थी। साथ ही मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी अलीगढ़ के संज्ञान आदेश को भी निरस्त कर दिया गया है।

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