जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट के सीजे ने वकीलों के लिए 40 घंटे के मेडिएशन ट्रेनिंग प्रोग्राम का उद्घाटन किया

Update: 2023-07-20 06:30 GMT

जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एन. कोटिस्वर सिंह ने बुधवार को श्रीनगर के मुमिनाबाद में जम्मू-कश्मीर न्यायिक अकादमी (जेकेजेए) में कश्मीर में वकीलों के लिए 40 घंटे के अनिवार्य मेडिएशन ट्रेनिंग प्रोग्राम का उद्घाटन किया।

कार्यक्रम का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर में वैकल्पिक विवाद समाधान प्रणाली की दक्षता, पहुंच और सामंजस्य को बढ़ाना है।

जम्मू-कश्मीर के सूचना विभाग द्वारा जारी प्रेस नोट में कहा गया कि उद्घाटन के दौरान जस्टिस ताशी रबस्तान, जस्टिस अतुल श्रीधरन, जस्टिस सिंधु शर्मा, जस्टिस जावेद इकबाल वानी, जस्टिस मोहम्मद अकरम चौधरी और जस्टिस राजेश सेखरी सहित कई प्रतिष्ठित न्यायाधीश भी उपस्थित थे।

चीफ जस्टिस ने अपने संबोधन में त्वरित, निष्पक्ष और लागत प्रभावी समाधान प्राप्त करने में मध्यस्थता की परिवर्तनकारी शक्ति पर जोर दिया। उन्होंने अधिवक्ताओं को न्याय तक पहुंच में सुधार, न्यायपालिका पर बोझ को कम करने और समुदाय के भीतर सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए मूल्यवान उपकरण के रूप में मध्यस्थता को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया।

सीनियर सब-जज जस्टिस ताशी रबस्तान ने अपने विशेष संबोधन में मध्यस्थता और वैकल्पिक विवाद समाधान (एडीआर) प्रणाली के फायदों पर प्रकाश डाला। उन्होंने विवादों को सुलझाने, मुकदमेबाजी की लागत को कम करने और रिश्तों को संरक्षित करने में मध्यस्थता की प्रभावशीलता पर प्रकाश डाला।

जेएंडके न्यायिक अकादमी के निदेशक वाई.पी बॉर्नी ने अपने स्वागत भाषण में कानूनी समुदाय पर मध्यस्थता प्रशिक्षण कार्यक्रम के परिवर्तनकारी प्रभाव पर जोर दिया।

जम्मू-कश्मीर कानूनी सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव और मध्यस्थता और सुलह समिति के समन्वयक अमित गुप्ता ने कार्यक्रम की सफलता में उनके योगदान के लिए विशिष्ट अतिथियों, प्रतिभागियों, संभावित प्रशिक्षकों और आयोजकों को धन्यवाद दिया।

40 घंटे का अनिवार्य मेडिएशन ट्रेनिंग प्रोग्राम सुप्रीम कोर्ट की मध्यस्थता और सुलह परियोजना समिति (एमसीपीसी) के तत्वावधान में जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट की मध्यस्थता और सुलह समिति की एक पहल है। इसका उद्देश्य वकीलों को विशेष कौशल और मध्यस्थता प्रथाओं के गहन ज्ञान से लैस करना, सौहार्दपूर्ण समाधानों को प्रोत्साहित करना और न्याय और समानता के सिद्धांतों को मजबूत करना है।

कार्यक्रम के दौरान, चीफ जस्टिस ने जम्मू-कश्मीर न्यायिक अकादमी के परिसर में एक पौधा भी लगाया। यह प्रतीकात्मक पहल पर्यावरण संरक्षण और आने वाली पीढ़ियों के लिए हरित भविष्य को बढ़ावा देने के प्रति चीफ जस्टिस के समर्पण को दर्शाती है।

चीफ जस्टिस के प्रधान सचिव एम.के. शर्मा; प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश, श्रीनगर, जवाद अहमद; रजिस्ट्रार विजिलेंस, तसलीम आरिफ़; रजिस्ट्रार नियम, राजिंदर सप्रू; रजिस्ट्रार आईटी, अनूप शर्मा; सचिव, एचसीएलएससी, प्रेम सागर; संयुक्त रजिस्ट्रार (प्रोटोकॉल), अब्दुल बारी और बड़ी संख्या में वकील कार्यक्रम में शामिल थे।

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