"अगर आजादी के 75 साल बाद भी हम अंबेडकर की जयंती और मंदिर उत्सव एक साथ नहीं मना सकते हैं, तो लोग हमारे देश के बारे में क्या सोचेंगे?": मद्रास हाईकोर्ट

Update: 2023-04-14 08:25 GMT

आज 14 अप्रैल है। भारतीय संविधान के पिता कहे जाने वाले डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री ने 14 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में अवकाश घोषित करते हुए सूचना जारी की थी। काफी समय से इसकी मांग की जा रही थी। ये हुई सुप्रीम कोर्ट की बात। इसी से जुड़ा एक मसला मद्रास हाईकोर्ट भी पहुंचा। के.शिवप्रकाशम नाम के एक व्यक्ति ने हाईकोर्ट में PIL दायर की थी।

याचिका में कहा गया कि पिछले कई सालों में नागपट्टिनम जिले के पट्टावर्ती गांव में उच्च जाति के हिंदुओं और अनुसूचित जाति के लोगों के बीच झड़पें हुई हैं। साल 2021 में अनुसूचित जाति समुदाय के लोगों ने एक स्थानीय बस स्टैंड पर अंबेडकर के चित्र के सम्मान में एक कार्यक्रम आयोजित किया था। इस दौरान भी दो समूहों के बीच झडपें हुई थीं।

याचिकाकर्ता ने ये भी कहा कि 2022 में मंदिर उत्सव और अंबेडकर जयंती समारोह एक ही दिन आयोजित किए जाने थे। लेकिन झड़पे होने की संभावना को देखते हुए दो से अधिक लोगों के सार्वजनिक जमावड़े पर रोक लगा दी गई थी।

एक्टिंग चीफ जस्टिस टी राजा और जस्टिस भरत चक्रवर्ती की बेंच इस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

बेंच ने याचिका खारिज कर दी और कहा कि डॉ. बीआर अंबेडकर की जयंती समारोह और मंदिर उत्सव एक ही दिन क्यों नहीं हो सकता है!

आगे कहा, ये सुनिश्चित करना पुलिस का काम है कि डॉ. बीआर अंबेडकर की जयंती समारोह और मंदिर उत्सव एक ही दिन हो। और किसी भी तरह की झड़पें न हों।

अदालत ने आश्चर्य जताया और कहा,

"अगर आजादी के 75 साल बाद भी हम अंबेडकर की जयंती और मंदिर उत्सव एक साथ नहीं मना सकते हैं, तो लोग हमारे देश के बारे में क्या सोचेंगे?"

दोनों कार्यक्रम अच्छे से हो जाएं, किसी भी तरह की झड़पें न हैं। इसके लिए अदालत ने स्थानीय पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए।

केस टाइटल: शिवप्रकाशम बनाम जिला कलेक्टर और 5 अन्य

केस साइटेशन : 2023 लाइवलॉ (मद्रास) 116




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