[ बाबरी विध्वंस केस ] ' मैं निर्दोष हूं, राजनीतिक प्रभाव और वैचारिक मतभेदों के कारण फंसाया गया ' :  आडवाणी ने स्पेशल कोर्ट में कहा 

Update: 2020-07-25 06:44 GMT

वयोवृद्ध भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने शुक्रवार को 1992 के बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में विशेष सीबीआई अदालत के समक्ष अपना बयान दर्ज कराया और विवादित ढांचे को गिराने की साजिश में किसी भी तरह की भागीदारी से इनकार किया।

92 वर्षीय पूर्व उपप्रधानमंत्री के बयान को अदालत में मौजूद विमल कुमार श्रीवास्तव, केके मिश्रा और अभिषेक रंजन के साथ विशेष न्यायाधीश एस के यादव की अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दर्ज किया गया। सीबीआई के वकील ललित सिंह, पी चक्रवर्ती और आर के यादव भी उपस्थित थे।

इस दौरान आडवाणी ने 6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचे को गिराने के लिए 'कारसेवकों' के साथ कथित साजिश में शामिल होने से इनकार किया। उन्होंने कहा कि वह पूरी तरह से निर्दोष हैं और राजनीतिक कारणों से मामले में अनावश्यक रूप से घसीटे गए। उन्होंने कहा कि वह कार्यवाही के उचित चरण में अपना बचाव प्रस्तुत करेंगे।

आडवाणी ने सीबीआई के विशेष न्यायाधीश को बताया कि जांच राजनीतिक दबाव में की गई थी और आरोप पत्र गढ़े गए सबूतों के आधार पर तैयार किया गया था।

विशेष न्यायाधीश ने आडवाणी के सामने 1,050 सवालों को रखा और उन्होंने साजिश के हर आरोप को नकारते हुए बहुत सतर्कता से उनका जवाब दिया और बहस करने का कोई मौका नहीं दिया।

जैसा कि न्यायाधीश ने 1992 की घटना से संबंधित कुछ वीडियो क्लिपिंग, समाचार पत्रों की रिपोर्ट और अन्य सबूतों की सामग्री को बताया, आडवाणी ने उन्हें राजनीतिक प्रभाव और वैचारिक मतभेदों के कारण अदालत में पूरी तरह से गलत और झूठा करार किया।

जब न्यायाधीश ने कारसेवकों को उनके कथित भड़काऊ भाषण के बारे में सबूतों का हवाला दिया, तो भाजपा दिग्गज ने उन्हें बताया कि सबूत झूठे थे और जांचकर्ताओं ने राजनीतिक दुर्भावना के लिए और राजनीतिक प्रभाव के तहत वीडियो कैसेट और समाचार पत्रों को शामिल किया।

न्यायाधीश ने 24 अक्टूबर, 1990 को प्रकाशित एक अंग्रेजी समाचार पत्र के आधार पर सीबीआई के गवाह द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य के एक टुकड़े को भी संदर्भित किया, जो  'आडवाणी को समस्तीपुर में गिरफ्तार 'शीर्षक के साथ था।

संस्करण में विश्व हिंदू परिषद और अन्य संगठनों के नेताओं द्वारा उनकी गिरफ्तारी के विरोध में भारत बंद का आह्वान करने का समाचार भी दिया गया था।

इस संस्करण में शिवसेना नेता बालासाहेब ठाकरे का बयान भी था कि 'बंद शांतिपूर्ण होगा।' तब भी, कुछ कारसेवकों ने विवादित ढांचे पर चढ़ गए और इसे क्षतिग्रस्त कर दिया। कुछ कार सेवकों की 10 अक्टूबर, 1990 को पुलिस गोलीबारी में मौत हो गई।

इस विवरण के पूरा होने पर, न्यायाधीश ने आडवाणी से पूछा कि इस बारे में उनका क्या कहना है।

आडवाणी ने जवाब दिया कि गिरफ्तारी के तथ्य को छोड़कर, अन्य बयान झूठे हैं और राजनीतिक दुर्भावना और वैचारिक मतभेदों को एक रंग देने के कारण जांच में शामिल किया गया है।

उनका बयान सुबह लगभग 11 बजे शुरू हुआ और वह अपने वकील महिपाल अहलूवालिया के साथ दिल्ली से अदालत में ऑनलाइन पेश हुए थे।

उनके बयान की रिकॉर्डिंग पूरी होने के बाद, न्यायाधीश ने अपने कार्यालय को इसकी एक प्रति सीबीआई के दिल्ली कार्यालय को भेजने को कहा, जो इस पर आडवाणी के हस्ताक्षर प्राप्त करेगा और इसे अदालत में वापस भेज देगा।

सीबीआई ने इससे पहले आडवाणी के साथ अन्य लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। लेकिन इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उन्हें निर्दोष मानते हुए मामले से आरोपमुक्त कर दिया था।

लेकिन सीबीआई की एक याचिका पर, सर्वोच्च न्यायालय ने 2017 में उन्हें साजिश के आरोपों पर मुकदमे का सामना करने का निर्देश दिया।

इससे पहले गुरुवार को विशेष अदालत ने मामले में भाजपा के दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी का बयान दर्ज किया था।

बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले मेंअभियोजन पक्ष के गवाह को  "झूठे" के रूप में बताने वाले 86 वर्षीय जोशी ने कहा था कि वह निर्दोष हैं और केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा और मामले में फंसाए गए हैं ।

बाबरी मस्जिद विध्वंस का मुकदमा वर्तमान में सीआरपीसी की धारा 313 के तहत मामले के 32 आरोपियों के बयान दर्ज करने के चरण में है, जिसके दौरान उन्हें उनके खिलाफ अभियोजन साक्ष्य का खंडन करने का अवसर मिलता है।

विशेष अदालत इन प्रावधानों के तहत 4 जुलाई से आरोपी व्यक्तियों के बयान दर्ज कर रही है।

गौरतलब है कि अयोध्या में 6 दिसंबर, 1992 को 'कारसेवकों' द्वारा मस्जिद ध्वस्त कर दी गई थी, जिन्होंने दावा किया था कि प्राचीन राम मंदिर उसी स्थान पर था।

आडवाणी और जोशी उस समय राम मंदिर आंदोलन का नेतृत्व करने वालों में से थे।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार अदालत 31 अगस्त तक मामले की सुनवाई पूरी करने के लिए दिन-प्रतिदिन सुनवाई कर रही है और कल्याण सिंह और उमा भारती जैसे भाजपा के दिग्गजों के बयान पहले ही दर्ज कर चुकी है।

पांच अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर के लिए एक भव्य कार्यक्रम आयोजित करने से कुछ दिन पहले आडवाणी का बयान दर्ज किया गया है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आडवाणी सहित राजनीतिक नेताओं को इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है।

पिछले साल, सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने फैसला दिया था कि हिंदू और मुस्लिमों द्वारा दावा की गई 2.77 एकड़ भूमि मंदिर के निर्माण के लिए सरकार द्वारा संचालित ट्रस्ट को सौंपी जाएगी। कोर्ट ने मुस्लिमों के लिए अयोध्या में एक अन्य स्थल पर पांच एकड़ के भूखंड की भी घोषणा की थी।

इस बीच, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंदिर निर्माण की आधारशिला रखने के लिए 5 अगस्त "भूमि पूजन" समारोह को रोकने के लिए दाखिल याचिका खारिज कर दी।

एक आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शनिवार को अयोध्या जाएंगे। हालांकि, उन्होंने विस्तार से नहीं बताया।

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