हिजाब बैन मामला - धार्मिक पोशाक पर प्रतिबंध लगाने का आदेश डिग्री कॉलेजों और पीयू कॉलेजों पर लागू, जहां यूनिफॉर्म निर्धारित वहां केवल स्टूडेंट पर लागू : कर्नाटक हाईकोर्ट

Update: 2022-02-23 12:36 GMT

कर्नाटक हाईकोर्ट ने बुधवार को स्पष्ट किया कि 10 फरवरी को उसके द्वारा पारित अंतरिम आदेश, जो कक्षाओं में स्टूडेंट द्वारा धार्मिक पोशाक पहनने पर रोक लगाता है, डिग्री कॉलेजों और प्री-यूनिवर्सिटी (पीयू) कॉलेजों दोनों पर लागू होगा, जहां वर्दी यूनिफॉर्म लागू की गई है।

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि उसका आदेश केवल स्टूडेंट पर लागू होता है, शिक्षकों पर नहीं।

मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी, जस्टिस कृष्ण एस दीक्षित और जस्टिस जेएम खाजी की पूर्ण पीठ ने हिजाब प्रतिबंध मामले में आज की सुनवाई के अंत में यह स्पष्टीकरण दिया।

आज की सुनवाई समाप्त होने पर अधिवक्ता मोहम्मद ताहिर ने एक निजी कॉलेज, भंडारकर कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड साइंस, उडुपी के स्टूडेंट द्वारा दायर आवेदनों का उल्लेख किया, जिसमें अंतरिम आदेश की सीमा के बारे में स्पष्टीकरण मांगा गया था।

उन्होंने तर्क दिया कि अंतरिम आदेश का हवाला देते हुए यहां तक कि बिना निर्धारित यूनिफॉर्म वाले कॉलेज और जिन्होंने पहले सिर पर स्कार्फ पहनने की अनुमति दी थी, हिजाब पहनने वाली मुस्लिम छात्राओं को रोक रहे हैं।

मुख्य न्यायाधीश अवस्थी ने ताहिर के सबमिशन का जवाब दिया,

"हमारा आदेश स्पष्ट है, यह केवल यूनिफॉर्म वाले संस्थानों पर लागू होता है।"

मुख्य न्यायाधीश ने कहा,

"अगर यूनिफॉर्म निर्धारित है तो उसका पालन करना होगा, चाहे वह डिग्री कॉलेज हो या पीयू कॉलेज ... हम यह बहुत स्पष्ट कर रहे हैं, चाहे वह डिग्री कॉलेज हो या स्नातक, जहां यूनिफॉर्म निर्धारित है, वहां इसका पालन किया जाना चाहिए।"

ताहिर ने कहा कि यहां तक कि शिक्षकों से भी हिजाब हटाने को कहा जा रहा है।

सीजे ने कहा,

"हमारा आदेश केवल स्टूडेंट पर लागू होता है।"

फुल बेंच ने 10 फरवरी को अपने अंतरिम आदेश में निर्देश दिया था,

"इन सभी याचिकाओं पर विचार किए जाने तक हम सभी छात्रों को उनके धर्म या आस्था पर विचार किए बिना भगवा स्टॉल और इससे जुड़े मामले में स्कार्फ, हिजाब, धार्मिक झंडे आदि को कक्षा के भीतर पहनने से रोकते हैं।"

गौरतलब है कि सोमवार (21 फरवरी) को न्यायमूर्ति कृष्णा दीक्षित की एकल पीठ ने भंडारकर कॉलेज के छात्रों को हिजाब पहनने की अनुमति देने के लिए अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था। पीठ ने यह कहा था कि पूर्ण पीठ का आदेश लागू है और मामले पर फुल बेंच सुनवाई कर रही है।

ताहिर की दलीलों पर प्रतिक्रिया देते हुए महाधिवक्ता प्रभुलिंग नवदगी ने कहा कि कॉलेज ने एकल पीठ को बताया था कि उन्होंने यूनिफॉर्म पेश करने का प्रस्ताव पारित किया है।

जवाब में ताहिर ने प्रस्तुत किया कि याचिका दायर होने के बाद प्रस्ताव पारित किया गया था।

उन्होंने कहा,

"यह व्यवस्था तुरंत नहीं की जा सकती। एक सुबह संस्था आती है और कहती है कि उन्होंने यूनिफॉर्म निर्धारित की है और इसलिए अंतरिम आदेश लागू है। यहां तक कि नियम पुस्तिका में लड़कियों को हेडस्कार्फ़ पहनने की अनुमति है।"

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