दिल्‍ली हाईकोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ दिल्ली में वकीलों के खिलाफ सभी लंबित शिकायतों का विवरण मांगा, कहा- वकीलों के उत्पीड़न को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता

Update: 2023-02-23 15:33 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि बार काउंसिल को बार-बार शिकायत करने के कारण वकीलों को "उत्पीड़न और हताशा में डाला जा रहा है", जब तक कदाचार का कोई गंभीर मामला नहीं बनता है, तब तक इसका समर्थन नहीं किया जा सकता है।

जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने बार काउंसिल ऑफ दिल्ली को  वकीलों के खिलाफ सभी लंबित शिकायतों का विवरण रिकॉर्ड पर रखने का निर्देश दिया। मांगी गई जानकारी में शिकायत दर्ज करने की तारीख और पहली नोटिस शामिल हैं।

अदालत ने छह सप्ताह के भीतर बीसीडी से एक विस्तृत चार्ट मांगते हुए कहा, "अगर कोई दूसरी शिकायत दर्ज की गई है और उस पर विचार किया गया है, तो उसे चार्ट में अलग से दर्शाया जाएगा।"

अदालत चार वकीलों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें बीसीडी द्वारा 13 फरवरी को जारी नोटिस को चुनौती दी गई थी, जिसमें उन्हें 24 फरवरी को बार काउंसिल के कार्यालय में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने का निर्देश दिया गया था।

बीसीडी ने 13 जनवरी को दायर एक शिकायत का संज्ञान लेने के बाद नोटिस भेजे थे।

याचिकाकर्ताओं की ओर से यह प्रस्तुत किया गया कि 13 जनवरी की शिकायत में वही आरोप हैं जो पहले की शिकायत में लगाए गए थे। यह तर्क दिया गया कि समान आरोपों पर दूसरी शिकायत पर बार काउंसिल द्वारा विचार नहीं किया जा सकता था।

रिकॉर्ड पर सामग्री का अवलोकन करते हुए, अदालत ने कहा कि शिकायतें समान प्रकृति की थीं और पहली शिकायत को बीसीडी द्वारा खारिज कर दिया गया था, दूसरी शिकायत पर विचार किया गया था।

अदालत ने कहा कि विवाद "एक पारिवारिक विवाद प्रतीत होता है जिसमें एक पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील आपस में उलझे हुए थे और फंस गए थे"।

"पारिवारिक विवाद की इस पृष्ठभूमि में, बार काउंसिल की बार-बार की शिकायतों के कारण वकीलों को उत्पीड़न और हताशा में डाला जा रहा है, जब तक कि कदाचार का कोई गंभीर मामला नहीं बनता है। वर्तमान याचिका इस न्यायालय के विचार के योग्य है।”

अदालत ने यह भी कहा कि नियमित आधार पर, अधिवक्ताओं के खिलाफ शिकायतों से संबंधित कई याचिकाएं दायर की जाती हैं "जहां बीसीडी जांच में देरी कर रही है"।

"वर्तमान मामले में जिस तरह की तत्परता दिखाई गई है, वह आमतौर पर दिखाई नहीं देती है, जिसका न्यायिक नोटिस इस अदालत द्वारा लिया जा सकता है। पहली शिकायत का नवंबर, 2022 में निस्तारण किया गया था। इसके तुरंत बाद दूसरी शिकायत 13 जनवरी, 2023 को दायर किया गया और 13 फरवरी, 2023 को नोटिस जारी किया गया।"

अदालत ने 20 अप्रैल को मामले को सूचीबद्ध करते हुए आदेश दिया कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ शिकायत में कार्यवाही अगले आदेश तक स्थगित रहेगी।

केस टाइटलः मालविका चौधरी और अन्य बनाम बार काउंसिल ऑफ दिल्ली और अन्य।

आदेश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

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