गुजरात हाईकोर्ट ने सीआरपीसी की धारा 97 के तहत समानांतर सर्च कार्यवाही को छुपाते हुए पत्नी का पता लगाने के लिए दायर हैबियस कार्पस याचिका जुर्माने के साथ खारिज की
गुजरात हाईकोर्ट ने हाल ही में एक पति द्वारा अपनी पत्नी की पेशी के लिए दायर एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका (हैबियस कार्पस) को जुर्माना लगाते हुए खारिज कर दिया और कहा कि पति ने इस तथ्य को छुपाया था कि उसने सीआरपीसी की धारा 97 (गलत तरीके से बंधक बनाए गए व्यक्तियों की तलाश) के तहत एक आवेदन पहले ही दायर कर रखा है। आरोप है कि उसकी पत्नी का उसके रिश्तेदारों द्वारा कथित रूप से अपहरण कर लिया गया था।
जस्टिस एन.वी.अंजारिया और जस्टिस निराल आर.मेहता की खंडपीठ ने कहाः
“सीआरपीसी की धारा 97 के तहत आपराधिक मिश्रित आवेदन संख्या 02/2023 की कार्यवाही के तथ्य को याचिकाकर्ता ने वर्तमान हैबियस कार्पस याचिका दायर करते समय छुपाया था। अदालत को सीआरपीसी की धारा 97 के तहत कार्यवाही की जानकारी नहीं दी गई थी।”
रिट याचिका में, पति-याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि उसकी पत्नी (कार्पस) के रिश्तेदारों ने उसका अपहरण कर लिया और जबरन किसी अन्य व्यक्ति के साथ कार्पस का पुनर्विवाह करने की कोशिश कर रहे हैं।
राज्य के लिए एपीपी मनन मेहता ने अदालत को सूचित किया कि कार्पस को पुलिस अपने साथ लेकर आई है।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील हिमांशु पाध्या ने कहा कि याचिकाकर्ता याचिका वापस लेना चाहता है क्योंकि कार्पस उसके घर लौट आई है और उसने सक्षम अदालत के समक्ष उसकी कस्टडी ले ली है।
न्यायालय ने कहा कि रिट याचिका में नोटिस जारी करने से पहले यानी 2 फरवरी, 2023 से पहले एक सक्षम अदालत द्वारा 1 फरवरी, 2023 को सीआरपीसी की धारा 97 के तहत एक आदेश जारी किया गया था और याचिकाकर्ता ने हैबियस कार्पस याचिका दायर करते समय इस तथ्य को छुपा लिया था।
अदालत ने कहा,
‘‘सुनवाई के दौरान जबकि दायर की गई समानांतर कार्यवाही और कार्पस की कस्टडी मिल जाने के उपरोक्त तथ्य को दबाने के लिए वर्तमान आवेदन को वापस लेने की मांग करके कार्यवाही का प्रेक्षण करने का प्रयास किया गया था। परंतु पुलिस तंत्र को खुद को सक्रिय करना पड़ा और अदालत के समक्ष याचिकाकर्ता की कस्टडी से कार्पस को पेश करने के लिए अपना समय और ऊर्जा खर्च करनी पड़ी। यह तथ्य छुपाने का एक गंभीर परिणाम था।’’
तदनुसार, अदालत ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज कर दिया और याचिकाकर्ता पर 1500 रुपये का जुर्माना लगा दिया। इस राशि को दस दिनों के भीतर पुलिस कल्याण बोर्ड, गांधीनगर में जमा कराना होगा।
केस टाइटल- प्रवीणभाई बेचारभाई परमार (ठाकोर) बनाम गुजरात राज्य
कोरम- जस्टिस एन.वी.अंजारिया और जस्टिस निराल आर.मेहता
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