"गंभीर मामला": गुजरात हाईकोर्ट ने वकील की याचिका पर कहा, क्लाइंट को सलाह पर पुलिस अधिकारी ने उसे अवैध रूप से हिरासत में लिया
गुजरात हाईकोर्ट ने अर्नेश कुमार बनाम बिहार राज्य में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों के उल्लंघन के लिए एक पुलिस अधिकारी के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की मांग करने वाली एक वकील की याचिका पर संज्ञान लिया। याचिका में आरोप लगाया कि अधिकारी/कथित अवमानना करने वाले ने उसे पुरानी रंजिश के कारण हिरासत में लिया।
चीफ जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस आशुतोष जे शास्त्री की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के बाद इसे एक 'गंभीर' मुद्दा करार दिया। खंडपीठ ने प्रतिवादी से मौखिक रूप से पूछा कि ऐसा क्यों किया गया और उसने मामले में वकील को क्यों फंसाया।
आवेदक/अधिवक्ता के मुवक्किल को प्रतिवादी/पुलिस अधिकारी द्वारा सितंबर 2020 में गिरफ्तार किया गया। अगली तारीख को रिहा कर दिया गया। हालांकि हिरासत में रहते हुए उसे कथित तौर पर पीटा गया। क्लाइंट ने आवेदक/अधिवक्ता से संपर्क किया और उसे शिकायत दर्ज करने और पुलिस अधिकारी के खिलाफ एफआईआर कराने की सलाह दी।
सलाह के अनुसार, मुवक्किल ने एफआईआर दर्ज कराई और जब से प्रतिवादी पुलिस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई। मुवक्किल को फिर से उठाया गया और फिर से बेरहमी से पीटा गया।
इसके बाद, मुवक्किल ने डीके बसु मामलों के दिशानिर्देशों के उल्लंघन और उसे हिरासत में यातना के अधीन करने के लिए पुलिस अधिकारी के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करने के लिए हाईकोर्ट का रुख किया।
अब चूंकि आवेदक/अधिवक्ता की सलाह पर याचिका दायर की गई, पुलिस अधिकारी ने कथित तौर पर उसके खिलाफ भी एक मामला बनाया और इसलिए, उसे पुलिस अधिकारी ने मार्च, 2021 में हिरासत में लिया गया। उस पर और उसकी पत्नी पर सिविल विवाद से संबंधित एफआईआर के तहत मामला दर्ज किया गया।
इसे देखते हुए बेंच ने पुलिस उपाधीक्षक या उसकी ओर से अधिकृत किसी अन्य अधिकारी को निर्देश दिया कि वह राजकोट में संबंधित पुलिस स्टेशन की स्टेशन हाउस डायरी को सीलबंद लिफाफे में तुरंत मजिस्ट्रेट के न्यायालय को सौंप दें, जो बदले में एक विशेष संदेशवाहक की प्रतिनियुक्ति करके इसे न्यायालय को प्रेषित करेगा।
चूंकि मामले की सुनवाई के दौरान राज्य का प्रतिनिधित्व किया गया, सहायक सरकारी वकील को उक्त आदेश का पालन करने के लिए क्षेत्राधिकार वाले पुलिस उपाधीक्षक को सूचित करने के लिए कहा गया।
इसके साथ ही मामले को आगे की सुनवाई के लिए 28 मार्च, 2022 को फिर से सूचीबद्ध किया गया और अवमानना करने वाले को सुनवाई की सभी तारीखों पर व्यक्तिगत रूप से पेश होने तक के लिए कहा गया।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रेमल एस. रच्छ पेश हुए।
केस का शीर्षक - भरतभाई थोभानभाई कोयानी बनाम जयेंद्रसिंह उदयसिंह गोहिल
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