सरकारी बंगला विवाद : दिल्ली हाईकोर्ट ने आम आदमी पार्टी सांसद राघव चड्ढा की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

Update: 2023-10-12 13:14 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा द्वारा ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसने राज्यसभा सचिवालय को उन्हें सरकारी बंगले से बेदखल करने की मंजूरी दे दी और रास्ता साफ कर दिया।

जस्टिस अनूप जयराम भंभानी ने चड्ढा की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी और राज्यसभा सचिवालय की ओर से एएसजी विक्रम बनर्जी को सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया।

कल दोनों पक्षों द्वारा विस्तृत प्रस्तुतियाँ दी गईं थीं। आज अदालत ने चड्ढा और राज्यसभा सचिवालय की ओर से खंडन दलीलें सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।

एएसजी बनर्जी ने अदालत को यह भी बताया कि वह कल शाम तक अपनी दलीलों का एक ब्रीफ प्रस्तुत करेंगे।

अदालत ने कहा “सुनवाई पूरी हो गई है। फैसला सुरक्षित है।”

सिंघवी ने कहा कि चड्ढा को सार्वजनिक परिसर अधिनियम के तहत शुरू की गई कार्यवाही में कल संपदा अधिकारी के सामने पेश होने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा कि चड्ढा ने संपत्ति अधिकारी से कार्यवाही को स्थगित करने का अनुरोध करने का प्रस्ताव रखा है क्योंकि मामले में फैसला सुरक्षित रखा गया है।

अदालत ने कहा, ''बयान रिकॉर्ड पर ले लिया गया है।''

कल सिंघवी ने कहा था कि चड्ढा को आवंटित सरकारी बंगले से बेदखल करने के लिए चुनिंदा तरीके से निशाना बनाया गया है, जबकि पहली बार चुने गए अन्य सांसदों के पास भी उनकी पात्रता से अधिक समान आवास है।

उन्होंने यह भी कहा कि चड्ढा के राज्यसभा से निलंबन का सरकारी बंगला रद्द होने से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने अदालत को बताया कि रद्दीकरण मार्च में हुआ था, लेकिन उन्हें जुलाई में निलंबित कर दिया गया था।

इसके अलावा सिंघवी ने कहा था कि यह न तो आवास में अधिक समय तक रहने का मामला है और न ही नए आवंटन का। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा मामला है जहां पिछले साल सितंबर में उपराष्ट्रपति द्वारा "पूरी तरह से दिमाग लगाने" के बाद बंगला आवंटित किया गया था, जिसके बाद चड्ढा ने इसे स्वीकार कर लिया था।

पिछले हफ्ते पटियाला हाउस कोर्ट के अतिरिक्त जिला न्यायाधीश सुधांशु कौशिक ने 18 अप्रैल को पारित एक अंतरिम आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें राज्यसभा सचिवालय को कानून की उचित प्रक्रिया के बिना चड्ढा को सरकारी बंगले से बेदखल नहीं करने का निर्देश दिया गया था।

ट्रायल कोर्ट ने कहा कि आवंटन रद्द होने और उन्हें दिया गया विशेषाधिकार वापस लेने के बाद चड्ढा को सरकारी बंगले पर बने रहने का कोई निहित अधिकार नहीं है।

अदालत ने कहा था, “वादी (राघव चड्ढा) यह दावा नहीं कर सकता कि उसे राज्यसभा सदस्य के रूप में अपने पूरे कार्यकाल के दौरान आवास पर कब्जा जारी रखने का पूर्ण अधिकार है। सरकारी आवास का आवंटन केवल वादी को दिया गया विशेषाधिकार है और आवंटन रद्द होने के बाद भी उसे उस पर कब्जा जारी रखने का कोई निहित अधिकार नहीं है।”

केस : राघव चड्ढा बनाम राज्य सभा सचिवालय

Tags:    

Similar News