बिना औचित्य के कई मामले दर्ज करना न्यायालय की प्रक्रिया का गंभीर दुरुपयोग: कर्नाटक हाईकोर्ट
कर्नाटक हाईकोर्ट ने हाल ही में जितेंद्र कुमार राजन द्वारा दायर याचिकाओं के एक संग्रह को खारिज कर दिया। याचिकाओं के संग्रह को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि बिना किसी औचित्य के मामला दर्ज करना अदालत की प्रक्रिया के दुरुपयोग का एक गंभीर रूप है।
जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित ने कहा,
"इन तुच्छ मामलों को तय करने में इस अदालत द्वारा लगाया गया अपना बहुमूल्य समय योग्य कारणों में इस्तेमाल किया जा सकता है।"
इसमें आगे कहा गया,
"रिट याचिकाओं की संरचना और उसमें की गई प्रार्थनाओं में कोई संदेह नहीं है कि याचिकाकर्ता पार्टी-इन-पर्सन में कुछ गड़बड़ है।"
अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा की गई प्रार्थना "अजीब" है। उन्होंने नोटिस जारी करने, कुछ मामलों में स्थगन देने आदि पर स्पष्टीकरण देने के लिए रजिस्ट्री को निर्देश देने की मांग की। इससे पहले भी याचिकाकर्ता ने कई याचिकाएं दायर की है। उन्हें एक लाख रुपये के जुर्माना के साथ खारिज कर दिया गया। जुर्माना की इस राशि को आज तक जमा नहीं किया गया है।
कोर्ट ने आगे कहा,
"रिट कोर्ट अपनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करने वाले व्यक्ति को अनुच्छेद 226 और 227 के तहत निहित संवैधानिक अधिकार क्षेत्र को लागू करने की अनुमति नहीं देगा।"
न्यायमूर्ति दीक्षित ने याचिका को खारिज करते हुए कहा,
"ये रिट याचिकाएं पूरी तरह से अयोग्य हैं और अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने के लिए दायर की जाती हैं। इन्हें तदनुसार दस हजार रुपये के जुर्माना के साथ खारिज किया जाता है।" (मामले में सात याचिकाएं खारिज कर दी गईं।)
अदालत ने याचिकाकर्ता को चार सप्ताह की अवधि के भीतर जुर्माना राशि को रजिस्ट्री में जमा करने का निर्देश दिया। ऐसा नहीं करने पर रजिस्ट्री उसकी वसूली के लिए अवमानना की कार्यवाही शुरू करेगी।
केस शीर्षक: जितेंद्र कुमार राजन बनाम कर्नाटक हाईकोर्ट
मामला संख्या: डब्ल्यू.पी.सं.19716/2021:
आदेश की तिथि: 16 नवंबर, 2021
उपस्थिति: जीतेंद्र कुमार, पार्टी-इन-पर्सन
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