बैलिस्टिक डेटाबेस बनाने की संभावना की जांच करें: दिल्ली हाईकोर्ट

Update: 2022-01-25 06:36 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने राज्य पुलिस को एक बैलिस्टिक डेटाबेस बनाने की संभावना की जांच करने के लिए कहा है। इसमें उन सभी आग्नेयास्त्रों की रिपोर्ट रखी जाती है, जिनके लिए लाइसेंस जारी किए जाते हैं। इन्हें जांच के मामले में एक्सेस किया जा सकता है।

जस्टिस संजीव सचदेवा ने पुलिस आयुक्त द्वारा नियुक्त समिति को इस संबंध में सीएफएसएल के तकनीकी विशेषज्ञों से भी परामर्श करने को कहा।

अदालत ने आदेश दिया,

"उपरोक्त संदर्भित पुलिस आयुक्त द्वारा नियुक्त समिति बैलिस्टिक डेटाबेस के निर्माण की संभावना की भी जांच कर सकती है, जहां सभी आग्नेयास्त्रों की बैलिस्टिक रिपोर्ट कर सकते हैं। इसके संबंध में लाइसेंस जारी किए जाते हैं या जो जनता को जारी किए गए लाइसेंसों पर समर्थित हैं। इसे संग्रहित किया जा सकता है ताकि जांच के मामले में उक्त डेटाबेस तक पहुंचा जा सके।"

यह घटनाक्रम एक एफआईआर के संबंध में वर्ष 2018 में दायर एक जमानत आवेदन की सुनवाई के दौरान आया। इस एफआईआर को आर्म्स एक्ट की धारा 25 के तहत दर्ज किया गया था।

यह देखा गया कि उक्त एफआईआर के साथ-साथ न्यायालय के समक्ष आए अन्य मामलों में भी देखा गया कि जब भी कोई हथियार बरामद किया जाता है तो हथियार या हथियार में मिली गोलियों या राउंड या गोले से कोई फिंगर प्रिंट नहीं लिया जाता।

अदालत को तब सूचित किया गया कि ऐसी कोई विशिष्ट प्रक्रिया निर्धारित नहीं की गई है जिसके तहत जांच अधिकारियों या अन्य पुलिस अधिकारियों को हथियार या गोलियों या राउंड या गोले से फिंगर प्रिंट लेने के निर्देश जारी किए जाते हैं, जो आरोपी से बरामद किए जाते हैं।

10 जनवरी को हाल ही में सुनवाई के दौरान, दिल्ली पुलिस के डीसीपी (कानूनी) ने अदालत को अवगत कराया कि लाइसेंस प्राप्त हथियारों में जीपीएस डिवाइस लगाने के मुद्दे की जांच पुलिस आयुक्त द्वारा नियुक्त एक समिति द्वारा की जा रही है।

उन्होंने यह भी प्रस्तुत किया कि उक्त समिति का विचार है कि तकनीकी, वित्तीय और गोपनीयता संबंधी चिंताओं के कारण यह एक व्यवहार्य विकल्प नहीं हो सकता।

सुनवाई की अगली तारीख से पहले एक नई स्टेटस रिपोर्ट दायर करने का आह्वान करते हुए अदालत ने मामले को आठ अप्रैल, 2022 को निर्देशों के लिए सूचीबद्ध किया।

केस शीर्षक: सौरभ मागू @ सनी बनाम राज्य (दिल्ली का जीएनसीटी)

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