'सुनिश्चित करें कि शांति भंग न हो': कलकत्ता हाईकोर्ट ने बेटे और बहू द्वारा कथित उत्पीड़न के खिलाफ वरिष्ठ नागरिक को पुलिस सुरक्षा प्रदान की

Update: 2022-01-21 11:30 GMT

कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) ने सोमवार को एक वरिष्ठ नागरिक को उसके बेटे और बहू द्वारा किए गए कथित उत्पीड़न के खिलाफ पुलिस सुरक्षा प्रदान की।

न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा एक वरिष्ठ नागरिक राधारानी साहा द्वारा दायर एक याचिका पर फैसला सुना रही थीं, जिसमें अदालत के हस्तक्षेप की मांग की गई थी क्योंकि उनके बेटे और बहू के खिलाफ उत्पीड़न की शिकायत को दमदम पुलिस स्टेशन द्वारा संबोधित नहीं किया गया था।

कोर्ट ने शिकायत का संज्ञान लेते हुए निर्देश दिया,

"दमदम पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि क्षेत्र में किसी भी तरह की शांति भंग न हो और उक्त परिसर में कड़ी निगरानी रखें और शांति के किसी भी खतरे को तुरंत दूर करें।"

इस मामले में कोर्ट को बताया गया कि याचिकाकर्ता का बेटा उसके साथ नहीं रहता है और आगे बताया गया कि याचिकाकर्ता के बेटे और बहू के बीच गंभीर वैवाहिक कलह है।

आगे यह प्रस्तुत किया गया कि बहू ने याचिकाकर्ता के आवासीय परिसर के कुछ हिस्सों पर जबरन कब्जा कर लिया है।

इसके अलावा, बहू ने घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 के प्रावधानों के तहत निवास की मांग का मामला भी दायर किया है जो अभी भी संबंधित न्यायालय के समक्ष लंबित है।

अदालत को यह भी बताया गया कि बहू द्वारा याचिकाकर्ता और उसके बेटे के खिलाफ दर्ज शिकायत के अनुसार, 31 दिसंबर, 2020 को आईपीसी की धारा 498 और 506 के तहत भी याचिकाकर्ता के खिलाफ अपराध दर्ज किया गया था।

अदालत को आगे बताया गया कि बहू द्वारा याचिकाकर्ता (ससुर) और उसके पति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 498 और 506 के तहत 31 दिसंबर 2020 की चार्जशीट नंबर 988 दिनांक 31 दिसंबर 2020 के खिलाफ दायर की गई शिकायत पर दायर किया गया है। याचिकाकर्ता के खिलाफ बहू द्वारा की गईं अन्य शिकायतों की भी जांच की जा रही है।

पीठ को यह भी अवगत कराया गया कि याचिकाकर्ता ने माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 के प्रावधानों के तहत उप मंडल अधिकारी, बैरकपुर के समक्ष शिकायत की थी। हालांकि इस संबंध में अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

पीठ ने निर्देश दिया,

"निर्देश दिया जाता है कि उप मंडल अधिकारी, बैरकपुर उक्त शिकायत पर कार्यवाही करेगा और अधिनियम,2007 के तहत उचित आदेश पारित करेगा।"

इस तरह मामले का निस्तारण किया गया।

केस का शीर्षक: राधारानी साहा बनाम पश्चिम बंगाल राज्य एंड अन्य

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