'सार्वजनिक परिवहन में महिला हेल्पलाइन नंबर लगाए जाएं': कलकत्ता हाईकोर्ट ने महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी किए

Update: 2021-08-14 04:18 GMT

कलकत्ता हाईकोर्ट

कलकत्ता हाईकोर्ट ने हाल ही में सार्वजनिक परिवहन बसों में यात्रा करने वाली महिलाओं और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई निर्देश जारी किए।

अदालत के समक्ष दायर याचिका में कहा गया कि ऐसी सार्वजनिक बसों में यात्रा करते समय महिलाओं को अक्सर परेशान किया जाता है और कभी-कभी यौन उत्पीड़न किया जाता है और इस संबंध में अदालत से निर्देश देने की मांग की गई थी।

एक ट्रांसजेंडर वकील अंकानी बिस्वास ने भी हस्तक्षेप याचिका दायर की थी। उसने कहा कि सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करते हुए उसके साथ दुर्व्यवहार भी किया है।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की पीठ ने उठाई गई शिकायतों पर विचार किया और तदनुसार राज्य को निम्नलिखित निर्देश जारी किए,

"पश्चिम बंगाल राज्य के सभी ट्रांसपोर्टरों को बसों/सार्वजनिक परिवहन वाहनों के अंदर और बाहर महिला हेल्पलाइन नंबर प्रदर्शित करने के लिए उचित निर्देश जारी करें ताकि कोई भी पीड़ित हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कर सके। यह नंबर विभिन्न बस स्टैंडों और बस स्टॉपों पर प्रमुख स्थानों पर भी प्रदर्शित किया जाना चाहिए।"

न्यायालय ने आगे राज्य को यह सुनिश्चित करने की सिफारिश की कि ट्रांसजेंडरों के लिए एक अलग हेल्पलाइन नंबर लागू किया जाए या मौजूदा प्रणाली में एक संशोधन किया जाए जो ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को मौजूदा महिला हेल्पलाइन तक पहुंचने की अनुमति देगा।

पीठ ने सार्वजनिक परिवहन की बसों में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण हेल्पलाइन नंबर भी प्रदर्शित करने की सिफारिश की ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पीड़ित जरूरत पड़ने पर कानूनी सहायता ले सकें।

कोर्ट ने आगे कहा कि ऐसे अपराधों की घटना को रोकने के लिए स्कूलों में संवेदीकरण कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए।

कोर्ट ने कहा कि,

"हमें इसकी रोकथाम के लिए कुछ कदम उठाने की जरूरत है। ऐसा तभी हो सकता है जब लोगों की मानसिकता में बदलाव आए। हमें लगता है कि लोगों को शिक्षित करने की आवश्यकता है। इस उद्देश्य के लिए राज्य द्वारा कुछ उपयुक्त योजना तैयार की जा सकती है ताकि इस संबंध में स्कूल स्तर पर प्रक्रिया शुरू करें ताकि हम समाज में अपराध को कम करने में सक्षम हो सकें। राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण भी मामले के इस पहलू की जांच कर सकता है।"

गुरुवार को जब मामला कोर्ट के सामने आया, तो कोर्ट ने याचिकाकर्ता द्वारा किए गए शोध को रिकॉर्ड में लिया जिसमें महिलाओं और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की सुरक्षा से संबंधित विभिन्न दिशा-निर्देश शामिल थे।

न्यायालय ने राज्य सरकार के साथ-साथ केंद्र को सिफारिशों पर ध्यान देने और तदनुसार अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।

मामले की अगली सुनवाई 1 सितंबर को होनी है।

केस का शीर्षक: रेणु प्रधान बनाम पश्चिम बंगाल राज्य एंड अन्य।

आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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