खरगोन दंगों के बाद तोड़फोड़ की कार्रवाई : मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने रहवासी की याचिका पर राज्य को नोटिस जारी किया
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट, इंदौर खंडपीठ ने हाल ही में खरगोन जिले के एक निवासी द्वारा दायर एक याचिका में संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी किया।
याचिकर्ता की संपत्ति कथित तौर पर मुस्लिम समुदाय से संबंधित होने के कारण उसके खिलाफ प्रतिशोध लेते हुए राज्य ने ध्वस्त कर दी थी।
जस्टिस प्रणय वर्मा ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद ने संबंधित अधिकारियों को चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
याचिकाकर्ता द्वारा अपनी याचिका में यह मामला बनाया गया था कि राज्य के अधिकारियों ने एक विशेष समुदाय से संबंधित होने के कारण उसके खिलाफ प्रतिशोध के कारण उसकी संपत्ति में तोड़फोड़ की।
याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि वह उक्त संपत्ति का कानूनी मालिक है और उसके लिए टैक्स का भुगतान करता है।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि अधिकारियों ने उसके खिलाफ मनमाने ढंग से और अवैध रूप से कार्य करके और उसकी संपत्ति को ध्वस्त करके जज, जूरी बनकर अत्याचार पूर्ण कार्य किया।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि राज्य के अधिकारियों की कार्रवाई खरगोन दंगों के बाद उनके द्वारा शुरू किए गए विध्वंस अभियान का एक हिस्सा थी क्योंकि घटना के दो दिन बाद संपत्ति को ध्वस्त कर दिया गया।
याचिकर्ता ने आगे राज्य के गृह मंत्री द्वारा दिए गए बयान की ओर इशारा किया, जिसमें मंत्री ने दंगों के दौरान शहर में हिंसा फैलाने के लिए मुस्लिम समुदाय को दोषी ठहराया था।
याचिकाकर्ता ने रिट याचिका के माध्यम से राज्य के अधिकारियों के खिलाफ उनकी कथित अवैध कार्रवाई के लिए न्यायिक जांच की मांग की।
याचिकाकर्ता को उसके नुकसान के साथ-साथ उसके कर्मचारियों को मुआवजा देने के लिए अदालत से निर्देश देने की मांग की, जो उसकी संपत्ति / रेस्तरां के विध्वंस के बाद बेरोजगार हो गए।
याचिकाकर्ता ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि वह ध्वस्त संपत्ति का कानूनी मालिक है और उसी के लिए टैक्स चुका रहा है।
याचिकर्ता ने आगे अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि अधिकारियों ने उसे कोई नोटिस जारी किए बिना और सुनवाई का कोई अवसर दिए बिना उसकी संपत्ति के एक हिस्से को ध्वस्त कर दिया।
उन्होंने तर्क दिया कि राज्य का यह अधिनियम प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पूर्ण उल्लंघन है। नतीजतन, उन्होंने निष्कर्ष निकाला, राज्य के कार्यों ने उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया है।
इसके विपरीत राज्य ने न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता की संपत्ति के विध्वंस के मामले में कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किया गया था। यह भी तर्क दिया गया कि उसकी संपत्ति का केवल वही हिस्सा गिराया गया था जिसे कानून के प्रावधानों के तहत कंपाउंड नहीं किया जा सकता था।
केस टाइटल : अतीक बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य
आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें