"प्रशासनिक पक्ष पर विचार": दिल्ली हाईकोर्ट ने 'वर्चुअल सुनवाई' को आदर्श के रूप में अपनाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार किया

Update: 2022-03-07 08:30 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को एक जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। इसमें राष्ट्रीय राजधानी में सभी न्यायालयों में वर्चुअल कोर्ट की सुनवाई को एक आदर्श के रूप में अपनाने की मांग की गई।

याचिकाकर्ता मुजीब उर रहमान ने कहा कि वर्चुअल कोर्ट की सुनवाई बेहद सुविधाजनक और समय बचाने वाली है। इसलिए, अदालत को इसे सभी जिला अदालतों के साथ-साथ हाईकोर्ट में एक आदर्श के रूप में अपनाने पर विचार करना चाहिए।

चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की खंडपीठ ने कहा कि इस मुद्दे पर प्रशासनिक स्तर पर विचार किया जा रहा है। इस प्रकार, इस स्तर पर जनहित याचिका पर विचार करने का कोई कारण नहीं दिखता।

कोर्ट ने कहा,

"पक्ष को व्यक्तिगत रूप से सुनने और मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए हम इस स्तर पर इस रिट याचिका पर विचार करने का कोई कारण नहीं देखते हैं। मुख्यतः इस कारण से कि हाईकोर्ट इस मुद्दे पर काम कर रहा है। हाईकोर्ट अपने प्रशासनिक पक्ष में एक समिति की मदद से निर्णय ले रहा है। सदस्य दिल्ली हाईकोर्ट के जज हैं और उचित विचार-विमर्श और चर्चा के बाद इस रिट याचिका में शामिल मुद्दे पर गौर किया जा रहा है।"

बेंच ने कहा कि शहर में मौजूदा महामारी की स्थिति को देखते हुए हाईकोर्ट अपने फैसले की समीक्षा और संशोधन कर रहा है। तद्नुसार याचिका का निस्तारण किया गया।

याचिकाकर्ता ने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा जारी वर्तमान दिशा-निर्देशों में कहा गया कि केवल असाधारण परिस्थितियों में ही वर्चुअल कोर्ट का सहारा लिया जाएगा। हालांकि, वर्चुअल कोर्ट को स्थायी रूप से अपनाकर कोई भी न्यायपालिका, वादियों और वकीलों के समय का अनुकूलन कर सकता है।

केस शीर्षक: मुजीब उर रहमान बनाम रजिस्ट्रार जनरल, दिल्ली एचसी

साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (दिल्ली) 173

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