दिल्ली हाईकोर्ट ने ईरान में फंसे पांच भारतीय नाविकों को स्वदेश वापस लेकर आने की मांग वाली याचिका पर विदेश मंत्रालय को नोटिस जारी किया
दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को साजिश के एक कथित मामले में स्थानीय अदालत द्वारा बरी किए जाने के बावजूद ईरान में फंसे पांच भारतीय नाविकों के परिवारों द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया। याचिका में विदेश मंत्रालय से ईरान सरकार के साथ इस मुद्दे को उठाने और उन्हें वापस लाने का निर्देश देने की मांग की गई है।
याचिका में जब तक उनकी स्वदेश वापसी नहीं हो जाती तब तक उन्हें अतिरिक्त चिकित्सा और वित्तीय सहायता, बोर्डिंग और लॉजिंग और कांसुलर सेवाओं के रूप में तत्काल राहत प्रदान करने के लिए केंद्र को निर्देश देने की भी प्रार्थना की गई है।
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने विदेश मंत्रालय से जवाब मांगा है और मामले की अगली सुनवाई 27 जुलाई को तय की है।
मामले के संक्षिप्त तथ्य यह हैं कि पांच नाविकों को संयुक्त अरब अमीरात में नौकरी का आश्वासन दिया गया था। हालांकि, उन्हें ईरान ले जाया गया, जहां वे एक कार्गो पोत में शामिल हो गए थे। इसके बाद उन्होंने छोटे कर्तव्यों का पालन करना शुरू कर दिया था।
पिछले साल फरवरी में ईरानी अधिकारियों द्वारा पोत पर मारे गए एक छापे के दौरान कैप्टन को उपरोक्त नाविकों के साथ गिरफ्तार किया गया था। इस छापेमारी में उन पर गहरे समुद्र में नशीले पदार्थों की तस्करी की साजिश का आरोप लगाया गया था। इसके बाद जहाज के मालिक को भी गिरफ्तार कर लिया गया था।
याचिकाकर्ताओं का मामला यह है कि ट्रायल कोर्ट ने इस साल नौ मार्च को सभी नाविकों को बरी कर दिया था। हालांकि, ईरानी अधिकारियों ने 403 दिनों तक सलाखों के पीछे रहने के बावजूद उनके पासपोर्ट और निरंतर निर्वहन प्रमाण पत्र सौंपने से इनकार कर दिया।
याचिकाकर्ताओं की यह भी शिकायत है कि इस मामले को कथित तौर पर ईरान के सर्वोच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया है। हालांकि, उन्हें यह नहीं बताया गया है कि इस पर अंतिम रूप से कब फैसला होने की संभावना है।
याचिका में कहा गया है कि,
"जबकि मामला अभी भी ईरान के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तय नहीं किया गया है, नाविक अधर में लटके हुए हैं। वे न केवल ईरान में फंसे हुए हैं, उनके पास आय का कोई स्रोत भी नहीं है। उन्हें ईरान में कोई रोजगार नहीं मिला है और न ही मिल सकता है। बिना किसी छत के रहने के लिए और बिना किसी काम के अपना खर्च चलाने के लिए उन्हें उधार लेना और भीख मांगना पड़ता है।"
याचिका तेहरान में विदेश मंत्रालय और भारतीय दूतावास को दिए गए अभ्यावेदन और 10 जुलाई, 2021 के एक वीडियो संदेश पर भी आधारित है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया गया है।
याचिका में कहा गया है कि,
"आज तक भारत सरकार और विशेष रूप से विदेश मंत्रालय और तेहरान में भारतीय दूतावास ने भारतीय नागरिक होने के नाते उन्हें कोई भी वित्तीय या कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है, जिसके वे हकदार हैं। लंबे समय से ट्रायल और प्रतीक्षा ने इन पांच नाविकों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भारी असर डाला है।"
केस का शीर्षक: शाम नाथूराम येनपुरे और अन्य बनाम भारत सरकार