दिल्ली उच्च न्यायालय में सोशल मीडिया ई-कॉमर्स वेबसाइट्स पर एमआरपी, निर्माता विवरण, मूल देश का प्रदर्शन करने के निर्देश की मांग करते हुए याचिका दाखिल
दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है जिसमें सोशल मीडिया ई-कॉमर्स वेबसाइटों को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि वे अपने पोर्टल पर बिक्री के लिए पेश किए जा रहे उत्पादों का पूरा विवरण प्रदर्शित करें, जिसमें अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP), विक्रेता का विवरण, निर्माता का नाम और मूल देश शामिल हों।
एक अजय कुमार सिंह द्वारा दायर याचिका में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि जहां भारत सरकार अमेज़न, फ्लिपकार्ट और स्नैपडील जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों की सक्रिय रूप से निगरानी कर रही है और उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020 का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कर रही है, वहीं इंस्टाग्राम, फ़ेसबुक (जहां उत्पादों को रेफरल के माध्यम से बेचा जाता है) जैसे सोशल मीडिया ई-कॉमर्स इन अनिवार्य नियमों के अनुपालन में नहीं हैं।
मीडिया रिपोर्टों पर भरोसा करते हुए याचिकाकर्ता ने यह कहा कि भारत में लगभग 572 मिलियन ग्राहक, सोशल मीडिया ई-प्लेटफॉर्म से खरीदारी करते हैं, और वर्ष 2025 तक इस संख्या के तेजी से बढ़ने की उम्मीद है।
हालांकि, याचिका में आगे यह कहा गया है कि इस बड़े पैमाने पर काम करने के बावजूद, ये ई-प्लेटफ़ॉर्म, अर्थात् मोबाइल ऐप/वेबसाइट, ग्राहकों को सूचना के पर्याप्त प्रकटीकरण के बिना, जैसा कि कानून के अनुसार आवश्यक है, बिक्री के लिए उत्पादों की पेशकश करते हैं।
इस संबंध में सरकारी मानदंड और नियम कानूनी मेट्रोलॉजी (पैकेज्ड कमोडिटी) नियम, 2011 और उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020 के तहत निर्धारित किए गए हैं।
याचिका में आगे यह कहा गया है कि सामाजिक वाणिज्य कंपनियों का व्यापार मॉडल, उत्पादों और विक्रेताओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी को छिपाकर बनाया गया है, जो उन्हें अप्राप्य खरीदारों, विशेष रूप से नए खरीदारों, या छोटे शहरों और शहरों के उन लोगों को लक्षित करने में मदद करता है, जिनको उनके उपभोक्ता अधिकारों के बारे में पूरी तरह से पता नहीं है।
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