दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस को संंजीव चावला से तिहाड़ जेल में 28 फरवरी तक पूछताछ करने की अनुमति दी
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को तिहाड़ जेल में क्रिकेट के सबसे बड़े मैच फिक्सिंग घोटालों में से एक में शामिल कथित सट्टेबाज संजीव चावला से पूछताछ करने की अनुमति दी है।
न्यायमूर्ति अनु मल्होत्रा की एकल पीठ ने कहा है कि दिल्ली पुलिस को तिहाड़ जेल में केवल 28 फरवरी तक चावला से पूछताछ करने की अनुमति दी जाएगी। इस तारीख को उसकी 15 दिनों की गिरफ्तारी की अवधि समाप्त हो जाएगी। अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि उक्त अवधि की समाप्ति के बाद दिल्ली पुलिस को इस मामले में चावला से पूछताछ करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
अदालत ने कहा,
" मामले में जांच एजेंसी को तिहाड़ जेल परिसर में याचिकाकर्ता (चावला) से पूछताछ करने की अनुमति केवल सीआरपीसी की धारा 167 (2) की शर्तों के अनुसार निर्धारित की गई है।"
न्यायालय ने यह निर्देश दिया कि भारत सरकार द्वारा ब्रिटेन में अपने समकक्ष को दिए गए आश्वासनों के अनुसार, चावला मुकदमे की सुनवाई तक तिहाड़ जेल में रहेगा।
दिल्ली पुलिस को आरोपियों से पूछताछ करने की अनुमति देते हुए अदालत ने पूछताछ करने वाली टीम को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया है कि जांच और पूछताछ के दौरान चावला के साथ सम्मानजनक व्यवहार किया जाए। गृह मंत्रालय द्वारा ब्रिटेन सरकार को भेजे गए पत्र के अनुपालन के लिए राज्य को भी निर्देशित किया गया है।
अदालत ने कहा कि
"जांच एजेंसी एएसजी द्वारा प्रस्तुत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की तकनीक का उपयोग जांच और पूछताछ के लिए उस हद तक कर सकती है, जैसा कि 13 फरवरी को ट्रायल कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत राज्य के आवेदन में प्रार्थना की गई है। इस मामले में आगे की जांच और पूछताछ के लिए राज्य अदालत से अनुमति ले सकता है।"
संजीव चावला ने 13/02/2020 के मजिस्ट्रेट के उस आदेश खिलाफ याचिका दायर की, जिसमें चावला को 12 दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया था।
याचिकाकर्ता ने अपने पुलिस रिमांड को यह कहते हुए चुनौती दी थी कि पुलिस ने पहले ही उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 420 और 120 बी के तहत अपराध के लिए चार्जशीट दायर कर दी है।
यह भी साफ किया गया कि उक्त आरोप-पत्र में आगे की जांच का कोई उल्लेख नहीं है और आगे की जांच के लिए न्यायालय से कोई अनुमति नहीं मांगी गई है।
चूंकि चावला यूके का नागरिक है, इसलिए भारत में उसकी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए प्रत्यर्पण की कार्यवाही की गई। उस कार्यवाही के दौरान, भारतीय अधिकारियों द्वारा ब्रिटिश अदालतों को सूचित किया गया था कि उसके खिलाफ जाँच पूरी हो गई है और चार्जशीट दायर कर दी गई है।
याचिकाकर्ता ने गृह मंत्रालय द्वारा ब्रिटेन सरकार को पत्रों में दिए गए आश्वासन का भी उल्लेख किया।
इन पत्रों में, केंद्र सरकार ने यह कहते हुए अपना संप्रभु आश्वासन दिया था कि प्री-ट्रायल और पोस्ट-ट्रायल के दौरान याचिकाकर्ता को तिहाड़ जेल में रखा जाएगा।
इन तर्कों का सामना करते हुए दिल्ली पुलिस की ओर से पेश ASG संजय जैन ने अदालत को सूचित किया कि गृह मंत्रालय ने कभी भी यूके सरकार को यह आश्वासन नहीं दिया कि वर्तमान मामले में कोई और जांच नहीं की जा सकती है।
अदालत को यह सूचित किया गया कि निष्पक्ष सुनवाई के उद्देश्य से, चावला, जिन्हें हाल ही में यूके से प्रत्यर्पित किया गया था, को उनके खिलाफ जुटाए गए साक्ष्य के साथ "साजिश का पता लगाने और अन्य व्यक्तियों की पहचान करने" का सामना करना पड़ा।
ASG संजय जैन ने अदालत के सामने यह भी कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी) / 120B (आपराधिक साजिश) के तहत उस दंड के अलावा किसी भी अपराध के संबंध में चावला की जांच या पूछताछ नहीं की जाएगी।
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