लिक्विडेटेड डैमेज पर डिफरमेंट चार्ज की वसूली का कोई सवाल ही नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट

Update: 2022-05-17 06:40 GMT

जस्टिस विभु बाखरू की एकल पीठ ने माना कि स्थगन शुल्क को अलग-अलग शुल्क के रूप में देय नहीं माना जा सकता है, भले ही परिसमापन हर्जाना (Liquidated Damages) देय हो या नहीं।

कोर्ट ने माना कि ये केवल तभी देय होंगे जब परिसमापन हर्जाना को देय माना जाएगा।

याचिकाकर्ता (एचवीपीएनएल) ने इस आधार पर अवार्ड का विरोध किया कि मध्यस्थ न्यायाधिकरण ने प्रतिवादी (कोबरा) के दावे को उसके द्वारा लगाए गए परिसमापन हर्जाना पर लगाए गए डिफरमेंट चार्ज (Deferment Charge) की वापसी के लिए अनुमति देने में गलती की।

एचवीपीएनएल ने तर्क दिया कि कोबरा ने उसे परिसमापन हर्जाना के अधिरोपण को स्थगित करने का अनुरोध किया था और उसी के लिए डिफरमेंट चार्ज का भुगतान करने के लिए सहमत हो गया था। इसलिए, डिफरमेंट चार्ज परिसमापन हर्जाना का भुगतान करने के दायित्व से स्वतंत्र हैं।

मध्यस्थ न्यायाधिकरण ने माना कि डिफरमेंट चार्ज परिसमापन हर्जाना पर ब्याज की प्रकृति के है और जब मूल राशि को देय नहीं माना जाता है तो ऐसी राशि पर ब्याज का सवाल ही नहीं उठता है।

कोर्ट ने अवार्ड को बरकरार रखा और कहा कि स्थगन शुल्क को अलग-अलग शुल्क के रूप में देय नहीं माना जा सकता है, भले ही परिसमापन हर्जाना हो।

कोर्ट ने माना कि ये केवल तभी देय होंगे जब परिसमापन हर्जाना को देय माना जाएगा।

अदालत ने याचिकाकर्ता की इस दलील को खारिज कर दिया कि इस तथ्य के बावजूद कि परिसमापन हर्जाना देय नहीं है, स्थगन शुल्क वसूल किया जा सकता है।

इसी के तहत कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।

केस टाइटल: हरियाणा विद्युत प्रसार निगम लिमिटेड (एचवीपीएनएल) बनाम कोबरा इंस्टालेसिओनेस वाई सर्विसेज सा और श्याम इंडस पावर सॉल्यूशन प्रा। लिमिटेड संयुक्त उद्यम

साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (दिल्ली) 454

दिनांक: 06.05.2022

याचिकाकर्ता के वकील: एडवोकेट समीर मलिक, एडवोकेट इती अग्रवाल और एडवोकेट प्रफुल्ल शुक्ला।

प्रतिवादी की ओर से एडवोकेट पंकज कुमार सिंह।

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