बहस का मुद्दा- जब सुप्रीम कोर्ट की एक दूसरी पीठ मामले को बड़ी पीठ को सौंप देती है तो निचली अदालतें सुप्रीम कोर्ट के पहले के फैसले का पालन करने के लिए बाध्य नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट

Update: 2021-08-21 11:02 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में टिप्पणी की कि एक बार जब सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने समान शक्ति की पिछली पीठ की शुद्धता पर संदेह किया और इस मुद्दे को एक बड़ी पीठ को सौंप दिया, तो निचली अदालतें पहले के फैसले का पालन करने के लिए बाध्य नहीं हो सकती हैं।

न्यायमूर्ति सी. हरि शंकर ने मध्यस्थता और सुलह अधिनियम की धारा 11(5) के तहत पक्षकारों के बीच विवाद पर मध्यस्थता करने के लिए मध्यस्थ की नियुक्ति के लिए दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह राय दी।

प्रतिवादी की ओर से पेश अधिवक्ता राकेश सैनी ने विवाद के इस संदर्भ पर मध्यस्थता के लिए इस आधार पर आपत्ति जताई कि पक्षकारों के बीच समझौते पर अपर्याप्त मुहर लगी थी।

इस तर्क का समर्थन करने के लिए उन्होंने एन.एन. ग्लोबल मर्केंटाइल प्राइवेट लिमिटेड बनाम इंडो यूनिक फ्लेम लिमिटेड में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा किया। तर्क दिया कि जब तक इस दोष को ठीक नहीं किया जाता है, तब तक न्यायालय विवाद को मध्यस्थता के लिए संदर्भित नहीं कर सकता है।

याचिकाकर्ता के वकील शलभ सिंघल ने इसका जवाब देते हुए प्रस्तुत किया कि मध्यस्थता समझौते पर पर्याप्त मुहर नहीं लगी है और अगर ऐसा है भी तो इस पहलू पर मध्यस्थ द्वारा निर्णय लिया जा सकता है।

न्यायालय ने कहा कि प्रतिवादी द्वारा उद्धृत निर्णय में सर्वोच्च न्यायालय ने माना था कि कार्य आदेश पर स्टाम्प शुल्क का भुगतान न करना या कमी मुख्य अनुबंध को अमान्य नहीं करता है।

इसके बाद प्रतिवादी ने विद्या ड्रोलिया बनाम दुर्गा ट्रेडिंग कार्पोरेशन मामले में सुप्रीम कोर्ट के पहले के फैसले पर भरोसा करके अपने मामले का बचाव करने का एक और प्रयास किया।

उच्च न्यायालय ने हालांकि देखा कि प्रतिवादी द्वारा पेश किए गए पहले फैसले में अर्थात् एन.एन. ग्लोबल मर्केंटाइल मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने विद्या ड्रोलिया मामले में तीन-न्यायाधीशों की पीठ द्वारा लिए गए दृष्टिकोण की शुद्धता पर संदेह किया था।

कोर्ट ने इसके अतिरिक्त इस मामले के निष्कर्षों को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के पास भेज दिया था।

कोर्ट ने की एकल पीठ ने टिप्पणी की कि

"यह सवाल कि क्या सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने सह-समान शक्ति की पिछली बेंच की शुद्धता पर संदेह किया है और इस मुद्दे को एक बड़ी बेंच को भेज दिया है, पदानुक्रम में निचली अदालतों को पहले के फैसले का पालन करना जारी रखना चाहिए, यह बहस योग्य है।"

इस प्रकार प्रतिवादी विवाद को मध्यस्थता के लिए संदर्भित करने के लिए सहमत हो गया और पक्षकारों को तदनुसार दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र को संदर्भित किया गया, जो उस पर मध्यस्थता के लिए एक उपयुक्त मध्यस्थ नियुक्त करेगा।

केस का शीर्षक: भगवती देवी गुप्ता एंड अन्य बनाम स्टार इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड।

आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



Tags:    

Similar News