कर्मचारी की नौकरी के अंतिम चरण में रिटायरमेंट की तारीख में बदलाव नहीं किया जा सकता : तेलंगाना हाईकोर्ट

Update: 2022-07-19 12:36 GMT

तेलंगाना हाईकोर्ट ने हाल ही में तेलंगाना राज्य सड़क परिवहन निगम के एक कर्मचारी द्वारा दायर रिट याचिका को अनुमति दी, जिसमें उसकी 'समय से पहले' सेवानिवृत्ति (Retirement) को चुनौती दी गई थी और सभी परिणामी लाभों के साथ नौकरी में बहाली की मांग की गई थी।

जस्टिस पी.माधवी देवी ने कहा कि कर्मचारी के सर्विस रिकॉर्ड में नियोक्ता को जन्म तिथि में बदलाव की अनुमति नहीं है, जब वह अपनी सेवानिवृत्ति के करीब है।

मामले के संक्षिप्त तथ्य

वर्तमान रिट याचिका दायर करने वाले मामले का संक्षिप्त तथ्य यह था कि याचिकाकर्ता को चयन की उचित प्रक्रिया से गुजरने के बाद 03.11.1988 को प्रतिवादी के निगम में ड्राइवर के रूप में नियुक्त किया गया था।

याचिकाकर्ता के वकील ने स्वीकार किया कि नियुक्ति के समय याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत सभी दस्तावेजों में उसकी जन्म तिथि 01.11.1961 दर्ज की गई थी और इसलिए, याचिकाकर्ता को 30.11.2019 तक सेवा में रहना चाहिए था, जब वह रिटायरमेंट की आयु (58 साल) में आता।

याचिकाकर्ता की यह शिकायत थी कि प्रतिवादी ने बिना कोई ठोस कारण बताए 30.06.2016 से याचिकाकर्ता को समय से पहले सेवा से सेवानिवृत्त कर दिया है। याचिकाकर्ता ने 2019 में सेवानिवृत्ति की आयु प्राप्त करने और सभी परिणामी लाभों के बाद बहाली और सेवानिवृत्ति की मांग की।

प्रतिवादी निगम के वकील ने प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता ने नियुक्ति के समय जन्म की एक विशेष तिथि दी थी और बाद में जन्म तिथि अलग होने का दावा किया था। मेडिकल टेस्ट के दौरान सेवा में प्रवेश के समय, याचिकाकर्ता ने कहा कि उसकी उम्र 30 वर्ष थी जिसे प्रतिवादी ने माना है और तदनुसार याचिकाकर्ता को सेवा से सेवानिवृत्त कर दिया।

न्यायालय के निष्कर्ष

अदालत ने देखा कि प्रतिवादी संगठन को किसी कर्मचारी को नियुक्ति पत्र जारी करने से पहले सभी प्रासंगिक प्रमाणपत्रों पर विचार करना आवश्यक था। इस मामले में याचिकाकर्ता ने जन्म तिथि 01.11.1961 बताई थी और इसे याचिकाकर्ता के आधिकारिक रिकॉर्ड में दर्ज किया गया था। नतीजतन, याचिकाकर्ता की सेवा के अंत में न तो याचिकाकर्ता और न ही प्रतिवादी जन्म तिथि बदलने के हकदार थे।

अदालत ने बी मल्लैया बनाम एपीएसआरटीसी हैदराबाद (2011) मामले पर भरोसा किया।

इसके अलावा शोभा राम रतूड़ी बनाम हरियाणा विद्युत प्रसार (2016) में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेवानिवृत्ति के आक्षेपित आदेश को रद्द करने के बाद, अपीलकर्ता सभी परिणामी लाभों का हकदार है। अपीलकर्ता की सेवाओं का उपयोग नहीं करने के लिए दोष प्रतिवादी का है।

इसलिए, प्रतिवादी निगम को निर्देश दिया गया था कि वह याचिकाकर्ता को सेवानिवृत्ति की आयु प्राप्त करने तक काल्पनिक सेवा देकर सभी परिणामी लाभों का भुगतान करे। इस प्रकार रिट याचिका को स्वीकार किया गया।

केस टाइटल : एमए महबूब बनाम तेलंगाना राज्य सड़क परिवहन निगम

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