COVID-19 : बाल सुधार संस्थानों में रह रहे बच्चों के संरक्षण के बारे में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तेलंगाना हाईकोर्ट ने मांगी स्टेट रिपोर्ट

Update: 2020-04-07 14:36 GMT

तेलंगाना हाईकोर्ट ने सोमवार को राज्य के सभी जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड और बाल अदालतों से बच्चों में COVID-19 वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए उन्हें अस्थाई ज़मानत पर रिहा करने को लेकर 3 अप्रैल 2020 को जारी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर स्टेट रिपोर्ट मांगी है।

इस आदेश में स्वतः संज्ञान लेते हुए न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने देश के सभी जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड और बाल अदालतों को आदेश दिया कि वे ऐसे सभी बच्चों को अस्थाई ज़मानत पर रिहा कर दें जिन्हें क़ानून का उल्लंघन करने के आरोप में जेलों में रखा गया है बशर्ते जेजे अधिनियम, 2015 की धारा 12 के तहत ऐसा नहीं करने के स्पष्ट और उचित कारण हों।

सुप्रीम कोर्ट ने बाल सुधार संस्थानों में रह रहे बच्चों में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए विस्तृत दिशानिर्देश जारी किया।

इस पर अमल करने का आदेश देते हुए हाईकोर्ट ने एक आधिकारिक आदेश जारी कर राज्य के सभी जेजेबी और सीसी को 14 अप्रैल तक इस बारे में स्थिति रिपोर्ट पेश करने को कहा है।

अदालत ने कहा,

"…सभी प्रमुख ज़िला जजों, मुख्य जजों, सिटी सिविल अदालतों, हैदराबाद और मेट्रोपॉलिटन सत्र जज, हैदराबाद से आग्रह है कि वे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति जेजे बोर्ड की सुनवाई करने वाले सभी मुख्य मजिस्ट्रेटों और बाल अदालतों की सुनवाई करनेवालों को भेज दें ताकि इस आदेश का पूरी तरह अमल हो सके। इन यूनिट हेड से यह आग्रह भी किया जाता है कि वे इस आदेश को लागू करने के बारे में इस अदालत को 14 अप्रैल 2020 तक इसके बारे में स्थिति रिपोर्ट पेश करें…।" 

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