COVID-19 : उड़ीसा हाईकोर्ट ने राज्य को दिया निर्देश, प्रवासी मज़दूरों की मेडिकल स्क्रीनिंग के साथ उनके भोजन और आश्रय की व्यवस्था करें
प्रवासी मज़दूर COVID-19 महामारी के कारण देश भर में हुए लॉकडाउन के बाद अपने गांव लौटने के लिए पैदल चलते हुए राज्यों की सीमाओं को पार कर रहे हैं। इन प्रवासी मजदूरों के बड़े पैमाने पर आवाजाही के मद्देनजर उड़ीसा हाईकोर्ट ने राज्य के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि ऐसे प्रवासी मज़दूरों की मेडिकल स्क्रीनिंग सुनिश्चित करने के साथ साथ उनके लिए भोजन और आश्रय देने की उचित व्यवस्था करें।
स्थिति पर स्वत: संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति संजू पांडा और न्यायमूर्ति बी रथ की पीठ ने कहा,
"एक गंभीर समस्या मजदूरों / मजदूर वर्ग और उनके परिवार के साथ-साथ पड़ोसी राज्यों के जिलों में भी हो रही है। इतने बड़े पैमाने पर यह जांचने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है कि उनमें से कोई पहले से ही 'कोरोना' से प्रभावित है या नहीं। बड़ी तादाद में इस तरह की आवाजाही कोरोना के संक्रमण को बढ़ा सकती है और फिर से ऐसे लोगों को हजार जगह पर देखना भी मुश्किल हो जाता है। "
इसे ध्यान में रखते हुए और 'कोरोना' के फैलने से रोकने के प्रयास में पीठ ने आदेश दिया,
"पूरे राष्ट्र में लॉकडाउन की अवधि के दौरान इतनी बड़ी संख्या में लोगों की आवाजाही और सरकार उनके स्थान पर ऐसे सभी व्यक्तियों को भोजन और पानी उपलब्ध कराने की तैयारी कर रही है, यह न्यायालय जनहित याचिका के तहत इस मुद्दे को उठाते हुए सभी सीमावर्ती जिले के कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों को सीमावर्ती जिलों में ऐसे सभी व्यक्तियों के मेडिकल चेक-अप सहित ठहरने, भोजन और स्वच्छता की व्यवस्था करने के लिए राज्य सरकार को निर्देश देता है।"
इसी प्रकार, जिला स्तर पर शिफ्टिंग के संबंध में, संबंधित जिला कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिया गया है कि वे कम से कम लॉकडाउन समाप्त होने तक इसी तरह की व्यवस्था करें।
इसके अलावा, स्थान की कमी की स्थिति में, अदालत ने कहा, अधिकारियों उपरोक्त उद्देश्य के लिए बंद कॉलेज और स्कूल परिसर इस्तेमाल कर सकते हैं।
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