'बचाव के लिए उचित कदम उठाने संबंधित चिंता': पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने ब्लैक फंगस के प्रसार को रोकने के लिए पंजाब, हरियाणा, केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ से सहायता मांगी
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने शुक्रवार को ब्लैक फंगस के खतरे को देखते हुए इसके प्रसार को रोकने के लिए उचित कदम उठाने के संबंध में पंजाब, हरियाणा और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ से सहायता मांगी है।
न्यायमूर्ति राजन गुप्ता और न्यायमूर्ति करमजीत सिंह की खंडपीठ ने निर्देश दिया कि केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के निजी डायग्नोस्टिक केंद्रों पर एचआरसीटी टेस्ट की कीमत कम करके 1800 रूपये की जाए।
ब्लैक फंगस का प्रसार
कोर्ट को एमिकस क्यूरी वरिष्ठ अधिवक्ता रूपिंदर खोसला ने सुनवाई के दौरान राज्यों में हाल ही में ब्लैक फंगस के प्रसार के बारे में अवगत कराया। यह प्रस्तुत किया गया कि प्रारंभिक चरण में ही इस पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।
कोर्ट के समक्ष हरियाणा राज्य की ओर से पेश वकील ने प्रस्तुत किया कि ब्लैक फंगस के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एम्फोटेरिसिन बी (Amphotericin B) उपलब्ध है और इसके साथ ही राज्य ने प्रतिष्ठित दवा कंपनी को एम्फोटेरिसिन बी की 30,000 शीशियों का ऑर्डर दिया है।
हरियाणा राज्य ने कहा कि वह विशेषज्ञों से परामर्श करेगा कि क्या ब्लैक फंगस के प्रसार के खतरे को रोकने के लिए कौन-से उपाय किए जा सकते हैं।
कोर्ट ने निर्देश दिया कि,
"यह स्पष्ट है कि पंजाब, हरियाणा और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ ने ब्लैक फंगस से पीड़ित रोगी के इलाज के लिए एम्फोटेरिसिन बी नामक दवा की आपूर्ति के आदेश दिए हैं। भारत सरकार के अनुसार दवा का निर्माण करने के लिए पांच और कंपनियों को लाइसेंस दिया गया है। वर्तमान में ग्यारह दवा कंपनियों को उक्त दवा के निर्माण के लिए लाइसेंस दिया गया है। हालांकि इस अदालत की चिंता है कि ब्लैक फंगस से बचने के लिए क्या उचित कदम उठाया जा सकता है। पंजाब, हरियाणा, केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ और भारत सरकार इस मामले में अदालत की सहायता करें।"
COVID-19 के लिए टेली-कंसल्टेंसी
एमिकस क्यूरी खोसला ने आगे कहा कि टेली-कंसल्टेंसी के लिए एक प्रणाली स्थापित करने के प्रस्ताव का अब तक कुछ काम नहीं हुआ है, जिससे नागरिकों को अनेक परेशानियां आ रही हैं।
कोर्ट से केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के वकील ने कहा कि उसके द्वारा किए गए प्रकाशन से चंडीगढ़ को टेली-कंसल्टेंसी के उद्देश्य से पांच क्षेत्रों में विभाजित किया गया है। दूसरी ओर, सत्य पाल जैन एएसजी ने प्रस्तुत किया कि वर्तमान में हरियाणा राज्य में 5 सेवा प्रदाता हैं और राज्य उनसे संपर्क कर सकता है।
इन कंपनियों से यह पता लगाने के लिए कि क्या विशेष स्थानीय क्षेत्र में उपलब्ध डॉक्टरों / चिकित्सा विशेषज्ञों के टेलीफोन नंबर इन कंपनियों के माध्यम से प्रचारित किए जा सकते हैं।
कोर्ट ने इसके अलावा उपरोक्त मुद्दों को देखते हुए कहा कि एनजीओ के रूप में और चैरिटेबल उद्देश्य से काम करने वाली प्रयोगशालाओं को छोड़कर कुछ प्रयोगशालाओं द्वारा अधिक कीमत वसूलने के मुद्दे को संबोधित करने की आवश्यकता है।
कोर्ट ने इसे देखते हुए मामले की अगली सुनवाई 25 मई के लिए स्थगित कर दी।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने इसी तरह के मामले में गुरूवार को केंद्र को एम्फोटेरिसिन बी दवा की वर्तमान उत्पादन क्षमता के साथ-साथ उन उत्पादकों की बढ़ाई गई उत्पादन क्षमता की स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया, जिन्हें उपरोक्त दवा का उत्पादन करने के लिए लाइसेंस दिया गया है।
बॉम्बे हाईकोर्ट (नागपुर बेंच) ने इसी तरह ब्लैक फंगस रोग के मामलों में तेजी से हो रही वृद्धि को ध्यान में रखते हुए इसके इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं की कीमतों को कम करने और उनके उत्पादन और वितरण को विनियमित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है।
केस का शीर्षक: ऋषि बनाम हरियाणा राज्य और अन्य।