मोटर दुर्घटना के दावेदारों को 'संभावनाओं की प्रबलता' की कसौटी पर मामला साबित करना होगा : पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट

Update: 2022-07-23 06:20 GMT

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि मोटर वाहन अधिनियम 1988 के तहत कार्यवाही में दावेदारों को संभावनाओं की प्रधानता की कसौटी पर अपना मामला साबित करने की आवश्यकता है।

हालांकि, कोर्ट ने तत्काल मामले में दावे का खंडन करते हुए कहा कि दावेदार कथित उल्लंघन करने वाले वाहन के खिलाफ दुर्घटना के तथ्य को 'दूर से साबित' करने में भी सक्षम नहीं हैं।

जस्टिस अलका सरीन की पीठ मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण, अंबाला द्वारा पारित अवॉर्ड के खिलाफ अपील पर विचार कर रही थी, जिसके तहत दावेदार-अपीलकर्ताओं द्वारा दायर दावा याचिका खारिज कर दी गई थी।

अदालत ने देखा कि दावेदारों द्वारा स्थापित पूरी कहानी असंभव लगती है :

वह व्यक्ति जो एक गंभीर दुर्घटना का गवाह था और जिसके बारे में कहा गया था कि उसने ट्रक का रजिस्ट्रेशन नंबर नोट करने के लिए डेढ़ किलोमीटर तक पीछा किया था, वह पुलिस को सूचित नहीं करेगा? जबकि उसके पास एक मोबाइल फोन था और वह उक्त मोबाइल फोन का उपयोग गांव धनास में उसके परिवार के सदस्यों से बात करने में कर रहा था।

अदालत ने कहा कि यह दिखाने के लिए रिकॉर्ड पर कुछ भी नहीं है कि मृतक के भाई ने पुलिस को दुर्घटना के बारे में सूचित करने का कोई प्रयास किया, जैसा कि प्रोसिक्यूशन के गवाह ( पीडब्ल्यू -2) द्वारा बताया गया है। ये सभी परिस्थितियां दावेदार के पक्ष की कहानी को असंभव बना देती हैं।

रिकार्ड में ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे पता चलता हो कि मृतक के भाई ने 14.07.2014 को पीडब्ल्यू-2 रविंदर कुमार से आपत्तिजनक ट्रक का रजिस्ट्रेशन नंबर पता चलने पर पुलिस को घटना के तथ्य के बारे में सूचित करने का कोई प्रयास किया। 

प्रायिकता की प्रधानता की कसौटी पर मामले को सिद्ध करने का प्रयास उस तात्कालिक मामले में पूरा नहीं हुआ जिसमें दावेदार दुर्घटना के तथ्य को साबित नहीं कर पाए हैं।

नतीजतन, अदालत ने ट्रिब्यूनल द्वारा पारित अवॉर्ड में कोई अवैधता या दुर्बलता नहीं पाते हुए वर्तमान अपील खारिज कर दी।


केस टाइटल : कृष्णा देवी और अन्य बनाम बलविंदर सिंह और अन्य

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