नागरिकों को यह जानने का अधिकार कि वस्तुओं का उत्पादन कहां हुआ है': ई-कॉमर्स के माध्यम से बेची जाने वाली वस्तुएं कहां से आई हैं यह बताने के लिए गुजरात हाईकोर्ट में याचिका

Update: 2020-07-09 07:32 GMT

गुजरात हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया जिसमें मांग की गई है कि वेब पोर्टल/ई-कॉमर्स प्लैटफॉर्म के माध्यम से बेचे जाने वाली सभी वस्तुओं का निर्माण कहां हुआ है इस बारे में जानने के उपभोक्ताओं के अधिकारों को लागू किया जाए।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेबी परदीवाला ने याचिका पर भारत सरकार, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालाय और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय को नोटिस जारी कर इसका जवाब 29 जुलाई तक देने को कहा है।

यह याचिका वक़ील यतिन सोनी ने दायर की है और अदालत से उन वस्तुओं की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की माँग की है जिनके बारे में यह नहीं बताया गया है कि उसका उत्पादन कहां हुआ है और उत्पादन करने वाली कंपनी कहां स्थित है।

आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत दायर इस याचिका में कहा गया है-

"जब कोई वस्तु डिलीवर की जाती है तभी जाकर ग्राहक को यह पता लग पाता है कि यह वस्तु भारत में बनी है या फिर उन देशों में जो उसके पसंदीदा देशों की सूची में नहीं है। भारी संख्या में लोग वस्तुएं ऑनलाइन ख़रीदते हैं और जब उन्हें यह वस्तु डिलीवर की जाती है तो उन्हें यह देखकर आश्चर्य होता है कि उस वस्तु पर निर्माता कंपनी का नाम नहीं लिखा होता है और उसे यह भी नहीं पता चलता कि उस वस्तु को उसने कहाँ उत्पादित किया है।"

हर नागरिक का यह मौलिक अधिकार है कि किसी वस्तु का उत्पादन किस देश में कहाँ हुआ है इसकी जानकारी उसे दी जाए, याचिकाकर्ता ने कहा। उसने यह भी कहा कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा 2(9)(vi) के तहत हर उपभोक्ता को उपभोक्ता सतर्कता का अधिकार है।

इसलिए याचिकाकर्ता ने अदालत से प्रतिवादियों को एक क़ानून बनाने का निर्देश देने को कहा है जिसके द्वारा कठोर प्रतिबंध/विनियमन लागू किया जा सके और सभी वेब पॉर्टल्ज़/ई-कॉमर्स प्लैट्फ़ॉर्म्स पर बेची जानेवाली वस्तुओं में ये विवरण हों -

· क्या यह उत्पाद भारतीय कंपनी द्वारा भारत में बनायी गई है;

· क्या यह उत्पाद भारतीय कंपनी ने विदेश में बनाया है;

· क्या यह उत्पाद विदेशी कंपनी ने भारत में बनाया है;

· क्या यह उत्पाद विदेशी कंपनी ने विदेश में बनाया है;

· बहुराष्ट्रीय कंपनियों के उत्पादों में भारतीय और विदेशी कंपनियों की हिस्सेदारी का प्रतिशत क्या है।

याचिकाकर्ता ने यह भी कहा है कि सरकार को चाहिए कि वह उत्पादों को एक विशेष चिह्न/रंग दे ताकि जो अनपढ़ या थोड़ा पढ़े-लिखे हैं उन्हें उत्पादों के बारे में और निर्मित वस्तुओं के श्रेणी के बारे में पता हो सके।

मामले का विवरण :

मामले का शीर्षक : यतीन सुरेशभाई सोनी बनाम भारत संघ एवं अन्य

केस नंबर : WP PIL No. 102/2020

कोरम : मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेबी परदीवाला

आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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