चीनी वीजा घोटाला: कार्ति चिदंबरम के सीए की जमानत को चुनौती देने वाली सीबीआई की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया

Update: 2022-07-12 10:27 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi high Court) ने कथित चीनी वीजा घोटाला मामले (Chinese Visa Scam) में कार्ति चिदंबरम (Karti Chidambaram) के चार्टर्ड अकाउंटेंट एस भास्कररमन को दी गई जमानत को चुनौती देने वाली केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की याचिका पर मंगलवार को नोटिस जारी किया।

जस्टिस पूनम ए बंबा ने मामले को 27 सितंबर को आगे की सुनवाई के लिए पोस्ट करते हुए भास्कररमन से जवाब मांगा।

भास्कररमन को शहर की राउज एवेन्यू कोर्ट ने नौ जून को जमानत दे दी थी।

पूरा मामला

मेसर्स तलवंडी साबो पावर लिमिटेड, वेदांत समूह की एक सहायक कंपनी द्वारा 50 लाख रुपये की रिश्वत के भुगतान के आरोपों के संबंध में सीबीआई ने मामला दर्ज किया गया था। मेसर्स तलवंडी साबो पावर लिमिटेड को पंजाब राज्य बिजली बोर्ड (पीएसईबी) द्वारा पंजाब के जिला मानसा में 1980 मेगावाट के थर्मल पावर प्लांट की स्थापना के लिए एक अनुबंध दिया गया था और मैसर्स टीएसपीएल, मेसर्स शेडोंग इलेक्ट्रिक पावर कंस्ट्रक्शन कॉर्प (मैसर्स एसईपीसीओ) नामक एक चीनी कंपनी की मदद से उक्त बिजली संयंत्र की स्थापना की प्रक्रिया में था।

यह आरोप लगाया गया था कि मैसर्स टीएसपीएल को मैसर्स एसईपीसीओ के चीनी विशेषज्ञों के लिए कुछ और प्रोजेक्ट वीज़ा की आवश्यकता थी क्योंकि यह उक्त प्रोजेक्ट की स्थापना के लिए अपने समय से पीछे चल रहा था और इसके कारण इसे बैंक ऋण आदि पर जुर्माने और ब्याज के संदर्भ में भारी वित्तीय नुकसान होने की संभावना थी।

प्रोजेक्ट वीज़ा अक्टूबर, 2010 में केवल बिजली और इस्पात क्षेत्रों के लिए एक नए प्रकार के वीज़ा के रूप में पेश किए गए थे और ऐसे वीज़ा जारी करने को नियंत्रित करने वाले विस्तृत दिशानिर्देश भी पी. चिदंबरम, तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री, भारत सरकार के अनुमोदन से जारी किए गए थे।

यह भी आरोप लगाया गया कि उक्त दिशानिर्देशों में प्रोजेक्ट वीजा के पुन: उपयोग का कोई प्रावधान नहीं था और उक्त दिशानिर्देशों से किसी भी विचलन की अनुमति केवल दुर्लभ और असाधारण परिस्थितियों में केंद्रीय गृह सचिव और केंद्रीय गृह मंत्री के अनुमोदन से ही दी गई थी।

सीबीआई द्वारा यह आरोप लगाया गया था कि आरोपी विकास मखरिया ने मेसर्स टीएसपीएल की ओर से आरोपी एस भास्कररमन से संपर्क किया था, जो आरोपी कार्ति पी चिदंबरम का करीबी सहयोगी था और मामले में अपनी कंपनी के लिए प्रोजेक्ट वीजा फिर से उपयोग करने के लिए उसकी मदद मांगी थी।

यह भी आरोप लगाया गया था कि आरोपी एस. भास्कररमन के निर्देश पर आरोपी विकास मखरिया ने उसे ईमेल के जरिए अनुरोध पत्र की एक प्रति भी भेजी थी और आरोपी एस. भास्कररमन ने उसे आरोपी कार्ति पी. चिदंबरम को भेज दिया था और उसके बाद तत्पश्चात तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री के साथ कुछ चर्चा हुई, आरोपी एस. भास्कररमन ने उपरोक्त अनुरोध के लिए अनुमोदन सुनिश्चित करने के लिए 50 लाख रुपये की अवैध रिश्वत की मांग की थी और अवैध रिश्वत के भुगतान की इस मांग को आरोपी विकास मखरिया द्वारा स्वीकार कर लिया गया था।

सीबीआई मामले में यह आरोप लगाया गया था कि एक तरफ आरोपी विकास मखरिया और आरोपी एस. भास्कररमन के बीच 50 लाख रुपये की रिश्वत के भुगतान पर परियोजना वीजा के पुन: उपयोग के लिए मंजूरी देने का आरोप और दूसरी तरफ आरोपी एस. भास्कररमन और कार्ति पी. चिदंबरम के बीच ई-मेल के आदान-प्रदान के रूप में पर्याप्त दस्तावेजी सबूत मौजूद थे।

इस प्रकार, यह आरोप लगाया गया था कि उपरोक्त प्रस्ताव के लिए केंद्रीय गृह सचिव और केंद्रीय गृह मंत्री की उपरोक्त मंजूरी उपरोक्त सभी आरोपी व्यक्तियों और कुछ अन्य अज्ञात निजी व्यक्तियों और लोक सेवकों के बीच रची गई आपराधिक साजिश को आगे बढ़ाने और जांच का खुलासा करने के लिए दी गई थी। उपरोक्त आपराधिक साजिश और उसके प्रतिभागियों की पहचान करने का कार्य प्रगति पर है।

केस टाइटल: सीबीआई बनाम एस भास्कररमन


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