वादियों के बीच एक वर्ग नहीं बनाना चाहते: बॉम्बे हाईकोर्ट ने मामलों को उच्च बोर्ड पर रखने की प्रथा को रोका

Update: 2025-06-12 06:42 GMT

न्यायपालिका के खिलाफ गलत धारणाओं से बचने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार (11 जून) को कहा कि उसने सुनवाई के लिए दैनिक मामलों की सूची में कुछ मामलों को उच्च बोर्ड पर रखने की प्रथा को समाप्त कर दिया।

चीफ जस्टिस आलोक आराधे और जस्टिस संदीप मार्ने की खंडपीठ ने कहा कि ऐसा वादियों के किसी भी वर्गीकरण से बचने और यह सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है कि कोई गलत संदेश न जाए।

चीफ जस्टिस आराधे ने मौखिक रूप से टिप्पणी की,

"हमने (मामलों को) उच्च बोर्ड पर पहले बोर्ड पर रखने की प्रथा को समाप्त कर दिया... हमें लगता है कि इसने वादियों के भीतर एक तरह का वर्ग बना दिया जैसे कि जो लोग वहन कर सकते हैं। उन्हें उच्च बोर्ड पर रखा जाता है आदि... इसलिए हम गलत संदेश नहीं देना चाहते हैं... हम सभी सूचीबद्ध मामलों की सुनवाई करते हैं।”

यह एक एडवोकेट के अनुरोध के जवाब में आया जिन्होंने अपनी याचिका की सुनवाई में स्थगन की मांग करते हुए पीठ से आग्रह किया था कि उसके मामले को बोर्ड में रखा जाए ताकि स्थगित तिथि पर उस पर सुनवाई की जा सके।

बता दें बोर्ड में उच्च मामले आमतौर पर वे होते हैं जिन्हें सुनवाई के लिए दैनिक मामलों की सूची में 1 से 10 के बीच रखा जाता है।

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