केंद्र सरकार ने NCLAT के अध्यक्ष के रूप में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बंसीलाल भट का कार्यकाल बढ़ाया

Update: 2020-09-19 03:45 GMT

केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) के अध्यक्ष (कार्यवाहक) के रूप में एक बार फिर न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बंसीलाल भट का कार्यकाल एक महीने के लिए बढ़ा दिया है।

इस आशय की जारी अधिसूचना में सूचित किया गया कि न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बंसीलाल भट अक्टूबर, 2020 तक राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण के अध्यक्ष बने रहेंगे।

उन्हें 12 मार्च, 2020 को उक्त कार्यालय में नियुक्त किया गया और 15 मार्च को उन्होंने पदभार ग्रहण किया। इसके बाद उनका कार्यकाल केंद्र सरकार द्वारा 15 जून, 2020 से तीन महीने के लिए और बढ़ा दिया गया।

NCLAT की वेबसाइट के अनुसार, जस्टिस भट ने कश्मीर विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त करने के बाद 1975 में बार एसोसिएशन ऑफ श्रीनगर के साथ एक वकील के रूप में दाखिला लिया। उन्होंने 1982 में केसीएस न्यायिक में चयन होने तक सिविल, आपराधिक और राजस्व न्यायालयों में अभ्यास किया।

उन्हें जून 1989 में एडिशनल जज के रूप में पदोन्नत किया गया और अगस्त 1999 में उच्च न्यायिक सेवा में उनकी नियुक्ति तक सीजेएम, जम्मू के रूप में सेवा दी गई। इसके बाद उन्होंने जम्मू और श्रीनगर में प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश के रूप में काम किया।

उन्होंने एक वर्ष के लिए मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण, जम्मू के पीठासीन अधिकारी के रूप में और दो कार्यकालों के लिए विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निरोधक, जम्मू के रूप में भी कार्य किया। उन्हें अगस्त 2011 में सीबीआई मामलों की सुनवाई के लिए नए भ्रष्टाचार निरोधक न्यायालय के विशेष न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था, जहां उन्होंने 8 मार्च, 2013 को जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के एक अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में अपने उत्थान तक काम किया।

उन्हें सितंबर 2014 में जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय का स्थायी न्यायाधीश बनाया गया और दिसंबर, 2016 में जम्मू-कश्मीर राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया; लेकिन 19 दिनों के बाद इस्तीफा देना पड़ा, क्योंकि उन्हें जम्मू में क्षेत्रीय पीठ श्रीनगर की नई सशस्त्र सेना न्यायाधिकरण में न्यायिक सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया। बाद में, 17 अक्टूबर, 2017 को राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण, नई दिल्ली के न्यायिक सदस्य के रूप में नियुक्त होने के बाद उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया।

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