कलकत्ता हाईकोर्ट ने राज्य को आदेश के लंबित रहने के दौरान ढांचों को गिराने के लिए 30 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया

Update: 2022-12-23 07:50 GMT

कलकत्ता हाईकोर्ट ने बुधवार को राज्य के अधिकारियों को संरचनाओं को ध्वस्त करने के लिए 30 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया, जो याचिकाकर्ता द्वारा दायर रिट याचिका की विषय वस्तु है। अदालत के अंतरिम आदेशों के बावजूद उत्तरदाताओं को इस तरह के विध्वंस को रोकने का निर्देश दिया था, जब तक कि मामले की सुनवाई नहीं हो जाती।

जस्टिस मौसमी भट्टाचार्य की एकल पीठ ने अधिकारियों को न्यायालय के आदेशों की अवमानना करते हुए कहा,

"न्यायालय की गरिमा और महिमा न केवल उसके आदेशों और निर्देशों की जानबूझकर अवज्ञा से कम होती है, बल्कि न्याय के प्रशासन में हस्तक्षेप करने के लिए भी होती है। दिनांक 13.12.2022 के आदेश की अवज्ञा तथा विवाद की विषय वस्तु को ध्वस्त कर आदेश को विफल करने का प्रयास करके कथित अवमाननाकर्ताओं ने जानबूझकर इस न्यायालय की गरिमा और महिमा को कम किया।"

मामला हाईकोर्ट में तब पहुंचा था जब याचिकाकर्ताओं ने नोटिस को चुनौती देते हुए रिट याचिका दायर की, जो 9 दिसंबर को (सड़कें) पश्चिम बंगाल राजमार्ग अधिनियम, 1964 की धारा 10(4) के तहत याचिकाकर्ताओं के कथित अनधिकृत अतिक्रमणों को बेदखल करने के लिए निदेशालय तमलुक राजमार्ग उप-मंडल पी.डब्ल्यू. के असिस्टेंट इंजीनियर द्वारा जारी किया गया।

चूंकि विध्वंस सुबह 10:00 बजे शुरू हुआ। इस मामले को हाईकोर्ट ने 13 दिसंबर को तत्काल संज्ञान में लिया। अदालत ने अपने 13 दिसंबर के आदेश में कहा कि अधिनियम की धारा 51बी (1) के तहत विध्वंस की दिशा में कोई भी कदम उठाने से पहले याचिकाकर्ताओं को नोटिस दिया जाना चाहिए था।

तदनुसार, अदालत ने तब उत्तरदाताओं को निर्देश दिया कि जब तक हलफनामों पर मामले की सुनवाई नहीं हो जाती, तब तक किसी भी तरह के विध्वंस को रोक दिया जाए।

हालांकि, न्यायालय के आदेशों का घोर उल्लंघन करते हुए याचिकाकर्ताओं के ढांचे मलबे में तब्दील हो गए।

जस्टिस भट्टाचार्य ने कहा कि अवमानना करने वालों का कृत्य न्यायालय के आदेशों की स्पष्ट अवहेलना है।

न्यायालय ने कहा,

"यह स्पष्ट है कि प्रतिवादी-अवमाननाकर्ता का आचरण न्यायालय द्वारा पारित आदेश की स्पष्ट अवज्ञा में है। अवज्ञा दो चरणों में हुई, पहली बार, जब कथित अवमाननाकर्ता को अवगत कराया गया कि इस मामले की सुनवाई 13.12.2022 को होगी। दूसरा, कथित अवमाननाकर्ताओं को आदेश के बारे में मौखिक रूप से सूचित किए जाने के बाद और बाद में आदेश के सार के साथ क्रमशः 13.12.2022 को दोपहर 1:20 बजे/दोपहर 2:16 बजे, यही विवाद का विषय है और रिट याचिका को निष्फल करता है।"

तदनुसार, अदालत ने अधिकारियों को न्यायालय के आदेशों की जानबूझकर अवज्ञा करने के लिए 21 दिसंबर को पारित आदेश की तारीख से एक पखवाड़े के भीतर याचिकाकर्ताओं को 30 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया।

मामला अब 6 जनवरी के लिए सूचीबद्ध किया गया।

केस टाइटल: इसरत बेगम और अन्य बनाम पश्चिम बंगाल राज्य और अन्य

साइटेशन: सीएपीएन नंबर 1428/2022 डब्ल्यूपीए नंबर 27501/2022

कोरम: जस्टिस मौसमी भट्टाचार्य

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