कलकत्ता हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने वकील की गिरफ्तारी पर न्यायाधीश से सभी न्यायिक कार्य वापस लेने का अनुरोध किया, उनके कोर्ट रूम में प्रवेश नहीं करने का प्रस्ताव पारित किया
कलकत्ता हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने प्रस्ताव पारित कर बार एसोसिएशन के सदस्यों ने सर्वसम्मति से जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय के कोर्ट रूम में प्रवेश करने से परहेज करने का फैसला किया। प्रस्तवाब के तहत तब तक जज के कोर्ट रूम में प्रवेश करने से इनकार किया गया जब तक कि जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय एडवोकेट प्रोसेनजीत मुखर्जी को आपराधिक अवमानना में दोषी ठहराने के लिए माफी नहीं मांगते। बार एसोसिएशन का आरोप है कि अदालत ने एडवोकेट मुखर्जी को सुनवाई का कोई अवसर दिए बिना शेरिफ की हिरासत में सिविल जेल भेज दिया।
बार एसोसिएशन का उक्त प्रस्ताव आम सभा की बैठक के परिणामस्वरूप आया और इसे चीफ जस्टिस टीएस शिवगणनम को संबोधित किया गया।
बार एसोसिएशन की ओर से भेजे गए पत्र में आरोप लगाया गया कि एक मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस गंगोपाध्याय ने मुखर्जी को आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया और कोर्ट रूम में उनकी तत्काल गिरफ्तारी का आदेश दिया, क्योंकि "मुखर्जी के वकील ने डिवीजन का आदेश दिखाते हुए जिस पीठ ने जस्टिस गंगोपाध्याय के आदेश को संशोधित किया वह अनुचित और अवमाननापूर्ण था।"
बयान में कहा गया,
''बिना किसी आदेश के वकील को सुनवाई का मौका दिए बिना कोर्ट रूम से हिरासत में ले लिया गया।''
इसमें आगे कहा गया,
"इस तरह का आचरण [बार के] सदस्यों को अच्छा नहीं लगा, जिन्होंने सर्वसम्मति से उल्लंघन महसूस किया और जस्टिस गंगोपाध्याय के कोर्ट रूम में प्रवेश नहीं करने का फैसला किया, जब तक कि न्यायाधीश संबंधित वकील और सदस्यों से माफी नहीं मांग लेते।"
सामान्य निकाय ने चीफ जस्टिस से जस्टिस गंगोपाध्याय से सभी न्यायिक कार्य वापस लेने का भी अनुरोध किया, क्योंकि सदस्य इसी तरह के व्यवहार से आशंकित हैं, जो उनमें से किसी के साथ भी हो सकता है।