'घटना को दबाने का प्रयास': कलकत्ता हाईकोर्ट ने हंसखली गैंगरेप और हत्या मामले में सीबीआई जांच का आदेश दिया
कलकत्ता हाईकोर्ट ने मंगलवार को हंसखली सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया।
रिपोर्टों के अनुसार, पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और अन्य के प्रति निष्ठा के कारण पंचायत सदस्य के बेटे द्वारा कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किए जाने के बाद अनुसूचित जाति समुदाय की एक 14 वर्षीय लड़की की पांच अप्रैल को मौत हो गई थी। 10 अप्रैल को पुलिस में शिकायत दर्ज कराने वाले उसके माता-पिता के अनुसार, जब वह घर लौटी तो उसका खून बह रहा था और रात में उसकी मौत हो गई।
चीफ जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और जस्टिस राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ के समक्ष एक जनहित याचिका दायर की गई। इसमें आरोप लगाया गया कि चार अप्रैल को मृतक नाबालिग लड़की को जन्मदिन की पार्टी में बृजगोपाल गोलैन, श्यामनगर पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के हंसखली में क्षेत्र में आमंत्रित किया गया था। गौलेन सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पार्टी (टीएमसी) के प्रभावशाली राजनेता का बेटा और गज़ना ग्राम पंचायत का सदस्य बताया जाता है। आरोप लगाया गया कि बृजगोपाल गोलैन ने मृतका के साथ चार-पांच अन्य दोस्तों के साथ मिलकर सामूहिक बलात्कार किया।
सबूतों को देखते हुए अदालत ने कहा कि मृत लड़की को बीमारी की हालत में लगभग आठ बजे उसके घर वापस भेज दिया गया। उसके गुप्तांगों से खून बह रहा था और उसके जिस्म से शराब की गंध आ रही थी। यह भी आरोप लगाया गया कि परिवार के सदस्यों को उसे किसी भी निजी या सरकारी अस्पताल में ले जाने से रोका गया। बाद में पीड़ित नाबालिग लड़की की निजी अंगों से अत्यधिक रक्तस्राव के कारण मृत्यु हो गई।
यह मानते हुए कि पीड़ित के परिवार के सदस्यों, इलाके और राज्य के निवासियों में विश्वास पैदा करने के लिए निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है, न्यायालय ने कहा,
"हमारी राय है कि मामले में निष्पक्ष जांच करने और पीड़ित के परिवार के सदस्यों, इलाके और राज्य के निवासियों में विश्वास पैदा करने के लिए सीबीआई द्वारा जांच की जानी चाहिए। इसलिए, हम राज्य जांच एजेंसी को तत्काल प्रभाव से सीबीआई को जांच सौंपने का निर्देश देते हैं। राज्य जांच एजेंसी आरोपी व्यक्तियों की हिरासत के साथ-साथ जांच से संबंधित सभी कागजात सीबीआई को सौंप देगी।"
संबंधित अधिकारियों को पीड़िता के परिवार के सदस्यों और मामले के गवाहों को पूरी सुरक्षा देने का भी आदेश दिया गया। सीबीआई को दो मई को होने वाली सुनवाई की अगली तारीख पर जांच की प्रगति के बारे में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया।
केस डायरी के अवलोकन के अनुसार, कोर्ट ने आगे कहा कि जांच में कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर गंभीर चूक हुई है। पीठ ने आगे कहा कि वे इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकते कि आरोपी सत्ताधारी पार्टी के एक शक्तिशाली नेता का बेटा है। केस डायरी में ऐसी सामग्री उपलब्ध है जिससे संकेत मिलता है कि पीड़ित के परिवार के सदस्यों को धमकी दी गई है।
अदालत ने आगे कहा,
"तथ्य यह है कि कोई एमएलसी नहीं है, कोई पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं है और कोई मृत्यु प्रमाण पत्र भी नहीं है। यह सब पूरी घटना को दबाने और सबूत मिटाने के प्रयास के बारे में संदेह पैदा करता है।"
कोर्ट ने राज्य के इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि कोई मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं है, क्योंकि गांव में कोई श्मशान नहीं है। कोर्ट ने यह कहकर कि इस तरह का तर्क गलत है, क्योंकि केस डायरी से पता चलता है कि पीड़िता का अंतिम संस्कार श्यामनगर अतीरपुर बर्निंग घाट (शमसान) में किया गया। केस डायरी आगे दर्शाती है कि पीड़िता के साथ न केवल एफआईआर में नामित व्यक्ति द्वारा बल्कि अन्य व्यक्तियों द्वारा भी बलात्कार किया गया हो सकता है।
उल्लेखनीय है कि अदालत ने हाल ही में सीबीआई को पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में हुई हिंसा की जांच सौंपी है। इसमें स्थानीय टीएमसी नेता भादू शेख की हत्या के प्रतिशोध में आठ लोग मारे गए थे। शेख की हत्या की जांच भी सीबीआई को सौंप दी गई।
खबरों के मुताबिक, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को सामूहिक बलात्कार-हत्या के ब्योरे पर संदेह जताते हुए पूछा कि क्या किशोरी के साथ बलात्कार किया गया या वह पहले से ही गर्भवती थी। कोलकाता में एक कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल के पुलिस प्रमुख मनोज मालवीय की उपस्थिति में बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कथित तौर पर दावा किया कि लड़की का आरोपी के साथ संबंध था। साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्षी दल और मीडिया इस घटना को "राजनीतिक रंग" दे रहे है।
केस शीर्षक: शाइस्ता आफरीन और अन्य बनाम पश्चिम बंगाल राज्य और अन्य
केस साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (Cal) 116
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