"सीमा सड़क संगठन के अधिकारियों को बीआरओ कर्मियों के परिवारों के लिए कोई दर्द महसूस नहीं हो रहा है": दिल्ली हाईकोर्ट ने बीआरओ को लापता बेटे के माता-पिता को एक साल के वेतन का भुगतान करने का आदेश दिया

Update: 2021-06-07 05:02 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को लगभग एक साल से लापता अधिकारी के परिवार के सदस्यों को वित्तीय सहायता देने में विफल रही सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) पर नाराजगी व्यक्त करते हुए बीआरओ को अधिकारी के माता-पिता को  एक साल के वेतन का भुगतान करने का आदेश दिया है।

न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ और न्यायमूर्ति अमित बंसल की पीठ ने विशेष रूप से टिप्पणी की कि,

"प्रतिवादी बीआरओ के अधिकारियों को बीआरओ में कार्यरत कर्मियों के परिवारों के लिए कोई दर्द महसूस नहीं हो रहा है। याचिकाकर्ता के बेटे को लापता हुए लगभग एक वर्ष बीत चुका है। अभी तक पूर्वोक्त के अलावा कोई भुगतान नहीं किया गया।"

कोर्ट के समक्ष मामला

याचिकाकर्ता का बेटा सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के सीमा सड़क इंजीनियरिंग सेवा में सहायक कार्यकारी इंजीनियर (सिविल) (ग्रुप 'ए') के रूप में कार्यरत था और उसे लेह में मीनामार्ग के कैजुअल पेड लेबर (सीपीएल) क्वारंटाइन कैंप की निगरानी के लिए तैनात किया गया था।

22 जून, 2020 को जिस वाहन में याचिकाकर्ता का बेटा यात्रा कर रहा था, वह गहरी खाई में गिर गया और जोजिला-कारगिल-लेह मार्ग पर तेज बहती द्रास नदी में बह गया। तब से याचिकाकर्ता के बेटे के बारे में कुछ पता नहीं चला है और उसका शव भी अब तक बरामद नहीं हो पाया है।

याचिकाकर्ता ने याचिका दायर कर प्रतिवादियों को याचिकाकर्ता के लापता बेटे का पता लगाने और बीआरओ को याचिकाकर्ता और उसके परिवार को वित्तीय सहायता देने के लिए निर्देश देने की मांग की है।

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि याचिका दायर करने से पहले याचिकाकर्ता को प्रतिवादियों से केवल 40,000/- रुपये की राशि प्राप्त हुई थी।

याचिका सबसे पहले न्यायालय के समक्ष 15 अप्रैल, 2021 को दाखिल की गई, जब नोटिस जारी करते हुए बीआरओ को निर्देश दिया गया था कि वह चार सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ता और/या उसकी पत्नी को जो भी राशि उचित समझे, उसका भुगतान करें।

परिवार ने इसके बाद यह कहते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया कि याचिकाकर्ता के परिवार की आर्थिक तंगी होने के बावजूद और 15 अप्रैल, 2021 को चार सप्ताह की अवधि समाप्त होने के बावजूद कोई भुगतान नहीं किया गया।

कोर्ट का आदेश

कोर्ट ने इस पर कहा कि यह प्रतिवादी बीआरओ से संबंधित अधिकारियों के कठोर रुख को दर्शाता है।

पीठ ने उपरोक्त परिस्थितियों में बीआरओ को निर्देश दिया कि वह 15 जून, 2021 को या उससे पहले याचिकाकर्ता के बेटे के लापता होने की अवधि के एक वर्ष की वेतन के बराबर की राशि, समान राशि का बैंक ड्राफ्ट याचिकाकर्ता और उसकी पत्नी के नाम पर जारी करें।

कोर्ट ने कहा कि,

"याचिकाकर्ता के वकील ने सूचित किया है कि याचिकाकर्ता मुस्लिम धर्म को मानता है और याचिकाकर्ता के बेटे पर लागू विरासत कानून के तहत याचिकाकर्ता और उसकी पत्नी याचिकाकर्ता के बेटे के एकमात्र वारिस हैं। इस तरह जारी की गई राशि याचिकाकर्ता के पुत्र के वारिसों को देय कुल राशि में से समायोजन योग्य होगा।"

कोर्ट ने कहा कि यदि भुगतान 15 जून, 2021 को या उससे पहले नहीं किया जाएगा, तो बीआरओ के महानिदेशक के पद पर आसीन व्यक्ति निर्देश का अनुपालन नहीं होने पर व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होगा।

केस का शीर्षक - रमजान बनाम भारत संघ और अन्य।

आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



Tags:    

Similar News