बॉम्बे हाईकोर्ट ईडी द्वारा नवाब मलिक की गिरफ्तारी के खिलाफ याचिका पर कल सुनवाई करेगा
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक विकास मंत्री नवाब मलिक की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका में तत्काल सर्कुलेशन प्रदान किया।
जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस एनआर बोरकर की बेंच ने सर्कुलेशन को मंजूरी दे दी और निर्देश दिया कि मामले को कल (बुधवार) एक उपयुक्त बेंच के समक्ष रखा जाए।
मलिक ने गिरफ्तारी को अवैध कहा है। इसके साथ ही केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया है।
बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में मलिक ने अपने खिलाफ ईडी के ईसीआईआर को रद्द करने, तत्काल रिहाई, एक घोषणापत्र की मांग की है कि उनकी गिरफ्तारी अवैध है।
उन्होंने ईडी की हिरासत में भेजने के विशेष अदालत के आदेश को भी रद्द करने की मांग की है।
मामले के तथ्य
पांच बार के विधायक मलिक को प्रवर्तन निदेशालय ने 23 फरवरी, 2022 को वैश्विक आतंकवादी दाऊद इब्राहिम के खिलाफ 3 फरवरी, 2022 को दर्ज की गई एनआईए की प्राथमिकी के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया है।
ईडी ने आरोप लगाया कि मलिक ने डी-गैंग के सदस्यों यानी हसीना पार्कर, सलीम पटेल और सरदार खान के साथ मिलकर कुर्ला में एक मुनीरा प्लंबर की पैतृक संपत्ति को हड़पने के लिए आपराधिक साजिश रची, जिसका मौजूदा बाजार मूल्य लगभग 300 करोड़ रुपये है।
ईडी ने दावा किया कि इस प्रकार, यह पीएमएलए की धारा 2(1)(यू) के तहत अपराध किया गया है। ईडी ने मार्च 1999 से सितंबर 2005 के बीच निष्पादित दस्तावेजों पर भरोसा किया।
मलिक का दावा है कि पीएमएलए अधिनियम की धारा 19 और सीआरपीसी की धारा 41 ए के उल्लंघन में उन्हें हिरासत के बाद प्रवर्तन निदेशालय द्वारा समन दिया गया था।
उन्होंने आगे आरोप लगाया कि अधिनियम लागू होने के पहले 20 साल पहले कथित रूप से किए गए अपराध के लिए पीएमएलए को लागू नहीं किया जा सकता है।
मलिक ने कहा कि उसका डी-गैंग से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि पॉवर ऑफ ऑर्टीनी के आधार पर उन्हें संपत्ति बेची गई थी, तो मूल मालिक अब अज्ञानता का नाटक नहीं कर सकता है।