बॉम्बे हाईकोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मेडिकल आधार पर नवाब मलिक को अस्थायी जमानत देने से इनकार किया
Nawab Malik Money Laundering Case Update: बॉम्बे हाईकोर्ट ने ईडी के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में महाराष्ट्र के पूर्व कैबिनेट मंत्री और एनसीपी नेता नवाब मलिक को अस्थायी जमानत देने से इनकार कर दिया।
ये आदेश जस्टिस अनुजा प्रभुदेसाई ने पारित किया। कोर्ट दो हफ्ते बाद उनकी जमानत याचिका पर मैरिट के आधार पर सुनवाई करेगी।
मलिक ने इस आधार पर जमानत मांगी कि उनकी एक किडनी खराब हो गई है और दूसरी केवल 60 प्रतिशत क्षमता पर काम कर रही है और उसकी हालत और खराब हो रही है।
मलिक की याचिका के अनुसार, फरवरी 2022 में गिरफ्तारी से पहले वह किडनी की समस्या से पीड़ित थे, जो गिरफ्तारी के बाद बढ़ गई और अन्य अंगों पर भी असर डाल रही है।
प्रवर्तन निदेशालय ने जमानत अर्जी का विरोध करते हुए तर्क दिया कि कई लोग एक किडनी के सहारे जीवित रहते हैं। इसके अलावा, किसी भी मेडिकल रिपोर्ट में यह नहीं कहा गया कि दूसरी किडनी अपनी क्षमता के 60% पर काम कर रही है, इसलिए मलिक के मामले में चिकित्सा आधार पर जमानत नहीं दी जा सकती।
ईडी का मामला है कि 2003-05 के बीच संपत्ति की रेडी रेकनर रेट 3.54 करोड़ रुपये होने के बावजूद बहुत कम कीमत पर मलिक ने डी-गैंग के सदस्यों यानी हसीना पार्कर (दिवंगत), उसके ड्राइवर सलीम पटेल (दिवंगत) और सरदार खान (1993 बम विस्फोट दोषी) के साथ मिलकर मुनीरा प्लंबर की कुर्ला में 3 एकड़ की पैतृक संपत्ति हड़प ली।
ईडी ने मलिक को यह आरोप लगाते हुए गिरफ्तार किया कि चूंकि पार्कर दाऊद इब्राहिम के अवैध कारोबार को संभालता था, इसलिए पैसे का इस्तेमाल अंततः आतंकी फंडिंग के लिए किया गया था।
ईडी के अनुसार, अपनी जमीन पर अतिक्रमण हटाने के लिए प्लंबर द्वारा पटेल और खान को दी गई पावर ऑफ अटॉर्नी का दुरुपयोग मलिक के परिवार के स्वामित्व वाली कंपनी को संपत्ति बेचने के लिए किया गया था।
ईडी ने विशेष पीएमएलए अदालत के समक्ष मलिक के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम की धारा 3 और 4 के तहत धन शोधन का आरोप लगाते हुए मसौदा आरोप दायर किया। वह फिलहाल एक निजी अस्पताल में न्यायिक हिरासत में हैं।
केस नंबर - बीए/3247/2022 [आपराधिक]
केस टाइटल - नवाब मलिक बनाम प्रवर्तन निदेशालय