बॉम्बे हाईकोर्ट ने एफएसएल रिपोर्ट में गलती के कारण दो साल से जेल में बंद नाइजीरियाई नागरिक को 2 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया

Update: 2022-08-12 15:23 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट ने एफएसएल रिपोर्ट में गलती के कारण दो साल से जेल में बंद नाइजीरियाई नागरिक के मामले में शुक्रवार को यह देखा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत स्वतंत्रता विदेशी नागरिकों के लिए भी उपलब्ध है और इस नाइजीरियाई नागरिक को मुआवजे देने का आदेश दिया। कोर्ट ने एक गलत फोरेंसिक रिपोर्ट के आधार पर 2020 से जेल में बंद इस नाइजीरियाई नागरिक को जमानत दे दी।

जस्टिस भारती डांगरे ने कहा कि यदि एनडीपीएस अधिनियम के तहत ड्रग्स की कोई बरामदगी नहीं हुई है तो आवेदक को केवल इसलिए हिरासत में नहीं रखा जा सकता क्योंकि वह एक विदेशी नागरिक है और उसका उसका आपराधिक इतिहास रहा है।

अदालत ने स्वत: संज्ञान लेते हुए महाराष्ट्र सरकार को आरोपी को गलत तरीके से कैद में रखने लिए छह सप्ताह के भीतर दो लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया।

ज़मानत आवेदक नोवाफ़ोर सैमुअल इनोआमोबी को 23 अक्टूबर, 2020 को एटीएस द्वारा नीले रंग के प्लास्टिक बैग जिसका वजन लगभग 116.19 ग्राम था, केसर रंग के दिल के आकार की गोलियों के पाउच उसके पास जब्त किया गया। इन गोलियों का वजन लगभग 40.73 ग्राम और कुछ गुलाबी रंग की एक्स्टसी टैबलेट का वजन लगभग 4.41 ग्राम था।

गोलियों की जब्ती के साथ ही आरोपी को गिरफ्तार किया गया। जब्त सामग्री को विश्लेषण के लिए भेजा गया और रिपोर्ट के आधार पर नाइजीरियाई नागरिक पर एनडीपीएस अधिनियम की धारा 8सी, 20, 22 के तहत मुकदमा चलाया गया। हालांकि, एक साल से अधिक समय के बाद सहायक निदेशक को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने अपनी पिछली रिपोर्ट में अपनी गलती स्वीकार करते हुए एटीएस को लिखा। उन्होंने कहा कि यह टाइपिंग की गलती हैं और उन्होंने इसके लिए माफी मांग ली।

अदालत ने कहा, "त्रुटि, जिसे स्पष्ट करने की मांग की गई है और टाइपिंग त्रुटि के रूप में पेश किया गया है, स्पष्ट गलती है। इस गलती को गंभीरता से देखा जाना चाहिए, लेकिन उक्त रिपोर्ट के लिए आवेदक को हिरासत में नहीं लिया जा सकता।"

इससे पहले जस्टिस डांगरे ने इस गलती के लिए राज्य को फटकार लगाई थी। अदालत ने कहा था,

"राज्य प्राधिकरण, हालांकि कानून और व्यवस्था की स्थिति के सर्वोच्च और प्रभारी हैं, जिसमें विशिष्ट उद्देश्य को प्राप्त करने के उद्देश्य से विभिन्न विधियों का कार्यान्वयन शामिल है और विशेष रूप से एनडीपीएस जैसे विशेष क़ानून से एक जिम्मेदार तरीके से व्यवहार करने की उम्मीद की जाती है।"

शुक्रवार को सुनवाई के दौरान राज्य के गृह विभाग के अवर सचिव ने अदालत के समक्ष पेश होकर पीठ को सूचित किया कि गलत रिपोर्ट के मामले में मुआवजे की कोई नीति नहीं है। हालांकि संबंधित व्यक्ति के खिलाफ विभागीय जांच की जाएगी।

जस्टिस डांगरे ने राज्य के जवाब से असंतुष्ट होकर राज्य को मुआवजा देने का निर्देश दिया। जबकि न्यायाधीश ने पहले ही कहा था कि नाइजीरियाई नागरिक जमानत का हकदार है, उसकी रिहाई का आदेश 25,000 रुपये के मुचलके पर दिया गया।

एडवोकेट तारक सईद, अद्वैत तम्हंकर और अश्विनी आचार्य ने आवेदक का प्रतिनिधित्व किया और राज्य के लिए एपीपी एए तकलकर उपस्थित हुए।

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