बॉम्बे हाईकोर्ट ने मृतक की पत्नी और बच्चे की देखभाल करने वाले भाई के लिए अनुकंपा नियुक्ति का अपवाद निकाला
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने अपने विवाहित भाई की मृत्यु के बाद एक जूनियर क्लर्क (याचिकाकर्ता) की अनुकंपा नियुक्ति को इस आधार पर जारी रखने के लिए एक अपवाद निकाला है कि वह 2013 से अपनी भाभी और भतीजे की देखभाल कर रहा है।
जस्टिस संदीप शिंदे और जस्टिस वृषाली जोशी की खंडपीठ ने शिक्षा अधिकारी को अनुकंपा नियुक्ति श्रेणी के तहत वर्धा स्कूल में याचिकाकर्ता की सेवा जारी रखने के लिए अपनी स्वीकृति देने का निर्देश दिया है, लेकिन याचिकाकर्ता के खिलाफ स्कीम को भी बरकरार रखा है।
शासकीय प्रस्ताव दिनांक 31 दिसम्बर, 2002 एवं 21 सितम्बर, 2017 के अनुसार अनुकम्पा नियुक्ति के लिए केवल विवाहित मृतक की विधवा एवं संतान ही पात्र हैं, आश्रित भाई नहीं। मृत्यु के समय अवविवाहित होने पर ही अनुकम्पा नियुक्ति के लिए भाई-बहन के नाम पर विचार किया जा सकता है।
‘‘फिर भी मामले के अजीबोगरीब तथ्यों को ध्यान में रखते हुए ... ऐसी असाधारण और विशेष परिस्थितियों में, हालांकि हम शिक्षा अधिकारी द्वारा अनुमोदन को अस्वीकार करते समय दिए गए कारणों से सहमत हैं, परंतु न्याय के हित में हम शिक्षा अधिकारी को एक विशेष मामले के रूप में याचिकाकर्ता की नियुक्ति को मंजूरी देने का निर्देश देते हैं।’’
वर्तमान मामले में असाधारण परिस्थिति यह है कि मृतक की पत्नी ने अपने देवर की नियुक्ति पर कोई आपत्ति नहीं जताई थी। हालांकि याचिकाकर्ता को 2013 में एक जूनियर क्लर्क के रूप में नियुक्त किया गया था और इसके तुरंत बाद शिक्षा अधिकारी से अनुमोदन मांगा गया था लेकिन अधिकारी ने 2022 में अनुरोध को खारिज कर दिया। अंत में पीठ ने कहा कि,‘‘चूंकि याचिकाकर्ता 2013 से मृतक के परिवार की देखभाल कर रहा है, हमें लगता है कि उपरोक्त तथ्यों और परिस्थितियों में याचिकाकर्ता की सेवाओं को बंद करना उचित नहीं होगा।’’
मामले के तथ्य
याचिकाकर्ता विनोद बुद्धबावरे ने शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक), जिला परिषद, वर्धा के 20 जुलाई, 2022 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उसे शासकीय प्रस्तावों के आधार पर अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति की मंजूरी देने से इनकार कर दिया गया था।
याचिकाकर्ता का भाई वर्धा के शंकरानंद विद्यालय स्कूल में सहायक शिक्षक था। याचिकाकर्ता ने अपने भाई के निधन के बाद पूरी तरह से अपने भाई पर निर्भर होने का दावा करते हुए नौकरी के लिए आवेदन किया था। स्कूल ने मृतक की पत्नी से अनापत्ति मिलने के बाद याचिकाकर्ता को जूनियर क्लर्क के रूप में नियुक्त किया था क्योंकि मृतक की पत्नी ने नौकरी लेने की अनिच्छा दिखाई थी।
प्रधानाध्यापिका ने 2013 में शिक्षा अधिकारी से इस नियुक्ति के लिए मंजूरी मांगी थी जिसे 2022 में नामंजूर कर दिया गया।
याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि पूरी तरह से अपने भाई पर निर्भर होने के बावजूद उसे नियुक्ति की स्कीम से बाहर नहीं किया जा सकता था क्योंकि इसका उद्देश्य मृतक के परिवार के लिए आजीविका का इंतजाम करना है।
सरकारी वकील ने प्रस्तुत किया कि अनुकंपा नियुक्ति की स्कीम के अनुसार अविवाहित व्यक्ति के भाई-बहन और विवाहित व्यक्ति के जीवनसाथी और बच्चों को ही आश्रित माना जाएगा। अदालत ने योजना/स्कीम को बरकरार रखा लेकिन शिक्षा अधिकारी को अपवाद बनाने का निर्देश दिया।
अदालत ने कहा,‘‘अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए विचार करते समय मृतक-कर्मचारी के भाई को बाहर करना, जब मृतक भाई की शादी हो चुकी हो और उस पर निर्भर उसकी पत्नी और बेटा जीवित हो, को अनुचित या अन्यायपूर्ण या भेदभावपूर्ण नहीं कहा जा सकता है, जैसा कि तर्क दिया गया है।’’
केस टाइटल- विनोद बनाम महाराष्ट्र राज्य
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